Q.1 - यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - Advance ruling क्या होती है?
Ans. - Advance Ruling मतलब इस act के अनुसार authority या appellate authority द्वारा Section 97(2) या Section 100(1) के under applicant द्वारा किए गए या किए जाने वाले goods या services के supply से related matters या questions पर दिए गए decision को advance ruling माना जाएगा. कोई भी advance ruling GST से related define query का written interpretation होता है जो authority appellant को देती है जिन्हें tax से related कोई clarification चाहिए होता है, ऐसा तब ही होता है जब taxpayer किसी provision को लेकर confuse होता है या sure नहीं होता है.
Q.3 - इस section को समझने के लिए और दूसरे कौन से sections या rules को refer करना होगा?
Ans. - इस section को समझने के लिए CGST Act 2017 के section 95, 98, 100, 49 और CGST Rules 2017 के rules 26 को refer कर सकते हैं
Q.4 - Advance ruling के लिए कब apply कर सकते हैं?
Ans. - एक applicant advance ruling के लिए apply कर सकता है जब कोई भी transaction supply of goods या services के respect में किया जा रहा है या किया जाने वाला है.
Q.5 - Advance ruling के लिए कैसे apply करते हैं?
Ans. - Advance Ruling के लिए applicant को section 49 के अनुसार Rs.5000/- की fees के साथ Form GST ARA-01 file करना होगा. (Section 49 इस Act के under interest, tax, penalty या किसी other payments के बारे में बात करता है.)
[expand title="Read More" swaptitle="Read Less"]
Q.6 - क्या किसी भी matter के लिए applicant advance ruling mechanism में apply कर सकता है?
Ans. - नहीं, applicant सिर्फ निचे दिए गए matters/questions के लिए advance ruling mechanism में जा सकता है:
a) किसी भी goods या services का classification;
b) GST Act के provisions के under issued notifications की applicability;
c) Goods या services के supply का time और value determination;
d) Tax paid या deemed to be paid पर input tax credit allow होगा?
e) किसी goods या service और both पर tax liability determine करने के लिए;
f) क्या applicant का इस Act में register होना ज़रूरी है?
g) क्या applicant द्वारा किसी good या service के respect में किया गया कोई विशेष कार्य उससे supply of goods या services में cover करता है?
Q.7 - क्या place of supply से related questions के लिए advance ruling ले सकते हैं?
Ans. – नहीं.
Q.8 - क्या यह ज़रूरी है की जो person advance ruling के लिए apply कर रहा है वो registered हो?
Ans. - नहीं, applicant का इस Act में register होना ज़रूरी नहीं है. Registered and unregistered person दोनों advance ruling file करने के लिए eligible हैं.
Q.9 - क्या applicant को various issues पर advance ruling के लिए individual applications submit करनी होगी?
Ans. - नहीं, applicant सारे issues को consolidate करके advance ruling की एक application में submit कर सकता है.
Q.10 - क्या applicant को CGST Act, SGST Act और IGST Act में advance ruling के लिए अलग अलग application submit करनी होगी.
Ans. - नहीं, applicant के GST में अलग अलग legislations के issues होने के बावजूद, सारे issues को consolidate करके advance ruling की एक application में submit कर सकता है.
Q. 11 - क्या applicant past transaction के लिए advance ruling file कर सकता है?
Ans. - नहीं, advance ruling past transaction के लिए नहीं ली जा सकती. Advance ruling सिर्फ उन् supply of goods या services के लिए ली जाएगी जो applicant द्वारा किए गए या किए जाने वाले goods या services के supply से related हो.
Q.12 - क्या advance ruling के लिए applicant manually भी file कर सकता है?
Ans. - हाँ.
Q.13 - क्या Non-resident advance ruling के लिए apply कर सकता है?
Ans. - हाँ, Non-resident GST portal पर temporary user Id या GST portal पर credentials (अगर NRTP Non-resident Taxpayer में registered है) से login करके advance ruling की application file कर सकता है. [/expand]
Q.1 - यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - Taxable Person मतलब क्या होता है?
Ans. - CGST Act, 2017 के section 2(107) के according taxable person में registered person और person liable to be registered को include किया जाएगा.
Q.3 - किस amount को section में include किया गया है?
Ans. - Section 94 इस act के under किसी भी taxable person के tax, interest या penalty के due amount की बात करता है.
Q.4 - इस section में किसको include किया गया है?
Ans. - इस section में हर उस Firm, Association of Persons और Hindu Undivided Family को include किया जाएगा जो taxable person है.
Q.5 - Jointly and severally का मतलब क्या होता है?
Ans. - Jointly and severally मतलब liability के payment के लिए parties separately or together’ responsible रहेगी. जो भी person liable है, वो सब liability को equally pay करने के लिए responsible रहेंगे.
Q.6 - Firm, AOP या HUF के business discontinue होने पर क्या होगा?
Ans. - Firm, AOP या HUF का business discontinue होने से पहले arise होने वाली tax, interest या penalty की liability को recover करने के purpose से ये माना जाएगा की business कभी discontinue हुआ ही ना हो.
Q.7 – कौन से case में business discontinue होने के बाद भी Firm, AOP या HUF के partner या member को liable माना जाएगा?
Ans. - Firm, AOP या HUF का business discontinue होने से पहले या उसके बाद arise होने वाली tax, interest या penalty की liability के relation में business discontinue होने के बाद भी उसके partners और members को liability की recovery के लिए jointly and severally liable माना जाएगा .
Q.8 - Reconstitution मतलब क्या होता है?
Ans. - Reconstitution मतलब जब firm के agreement में partners के profit sharing ratio मैं change किया जाता है, या जब firm में new partners का admission या existing partners का cessation होता है.
Q.9 - इस section के अनुसार Firm या AOP के constitution में change होने पर क्या होगा?
Ans. - Firm या AOP का reconstitution होने से पहले arise हुई tax, interest या penalty की liability के relation में reconstitution होने के बाद भी liability की recovery के लिए partners को reconstitution होने से पहले की तरह ही jointly and severally liable माना जाएगा.
Q.10 - Firm या AOP के dissolution और HUF के partition के case में क्या होगा?
Ans. - Firm, HUF या AOP का business discontinue होने पर जिस तरह से उसके partners और members discontinuance के बाद भी due amount की recovery के लिए liable रहेंगे, उसी प्रकार dissolution और partition के case में भी business को continue मान कर partners या members से liability को recover किया जाएगा.
Q.1 - यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - इस act के साथ ओर कौनसा act को refer करना हैं?
Ans. - अगर किसी case में Insolvency and Bankruptcy Code, 2016 आता है तो उस case में CGST act को Insolvency and Bankruptcy Code, 2016 act को refer करना चाहिए.
Q.3 - क्या किसी deceased person के due को pay करने के लिए legal representative या कोई other person tax, interest या penalty pay करने के लिए liable है?
Ans. - हाँ, अगर उस deceased person का business उसकी death के बाद भी legal representative या कोई other person द्वारा continue किया जा रहा है तो legal representative या कोई other person pay करने के लिए liable है.
Q.4 - अगर deceased person का business उसकी death के बाद या उससे पहले बंद कर दिया तो उस case में कौन due amount pay करेगा?
Ans. - Deceased person के estate से जितना भी due amount pay हो सकता है उतना amount legal representative द्वारा pay किया जाएगा.
Q.5 - Deceased person कौन से amount के लिए liable होगा?
Ans. - Deceased person उस tax, interest या penalty के लिए liable होगा जो उसकी death के पहले determine की गई है लेकिन pay नहीं किया गया है या उसकी death के बाद determine किया गया है.
Q.6 - Hindu Undivided Family or an association of person’s के case में partition के बाद कौन liability pay करने के लिए liable होगा?
Ans. - Partition के बाद जिस members को Hindu Undivided Family या association of persons की property मिली है वो सब Partition के समय तक arise होने वाली liability को pay करने के लिए liable है जो की Partition से पहले determine की गई है लेकिन pay नहीं किया गया है या उसके partition के बाद determine किया गया है और सभी member jointly and severally liable रहेंगे.
Q.7 - Firm के case में dissolution के बाद कौन liability pay करने के लिए liable होगा?
Ans. - जिस firm पर dissolution के समय तक tax liability arise हो रही है उस firm का हर वो व्यक्ति जो उस फर्म के dissolution के समय तक partner था वो liability pay करने के लिए liable होगा, जो की dissolution से पहले determine की गई है लेकिन pay नहीं किया गया है या उसके dissolution के बाद determine किया गया है और सभी partner jointly and severally liable रहेंगे.
Q.8 - Guardian of a ward या trustee के case में guardianship या trust ख़त्म होने के बाद कौन liability pay करने के लिए liable होगा?
Ans. - Guardianship या trust के ख़त्म होने के समय तक arise होने वाली tax, interest या penalty की liability pay करने के लिए ward या beneficiary pay करने के लिए liable होगा, जो की termination से पहले determine की गई है लेकिन pay नहीं किया गया है या उसके termination के बाद determine किया गया है.
Q.1 - यह section कब से applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - Taxable person कौन होते है?
Ans. - Taxable person वह होते है जो या तो registered है या section 22 or section 24 में registration लेने के लिए liable है.
Q.3 - Court of Wards क्या होता है?
Ans. - यह ऐसी legal body है जिसका purpose है protect करना heirs और उनकी property को जब heir या तो minor है या कोई incapacitated person है जो incapable है खुद से अपने affairs manage करने में.
Q.4 - Court of Ward, Administrator General, Official Trustee या Receiver या Manager कब liable है tax, interest or penalty करने के लिए?
Ans. - जब कोई estate या किसी estate का कोई portion Court Of Ward, Administrator General, Official Trustee या Receiver या Manager control कर रहे है तो उस case में अगर कोई tax, interest or penalty due हुई है तो उसको pay करने के लिए Court Of Ward, Administrator General, Official Trustee या Receiver या Manager liable होंगे जैसे वो खुद उस business को run कर रहे हो.
Q.1 - यह section कब से applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - अगर कोई guardian, trustee या agent किसी minor और incapacitated person के behalf पर कोई business कर रहा है तो उसकी tax, interest या penalty के लिए कौन liable रहेगा?
Ans. - ऐसी tax interest या penalty के लिए guardian, trustee या agent liable रहेंगे, और उनसे इस तरह से amount recover किया जाएगा जैसे वे खुद से business कर रहे है.
Q.3 - क्या GST registration किसी minor person के PAN से लिया जा सकता है?
Ans. - हाँ, GST registration किसी minor person के PAN से लिया जा सकता है पर इस case में minor के parents या legal guardian को authorized representative की तरह appoint किया जाएगा जो minor के behalf पर सारे GST matters पर sign करेंगे.
Q.4 - Incapacitated person कौन होता है?
Ans. - Incapacitated person include करता है:-
a) Minor; और
b) ऐसे individual जो किसी mental या physical condition के कारण food, clothing, shelter पाने में, या खुद की care करने में, या खुद के financial affairs manage करने में capable नहीं है.[/expand]
Q.1 - यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - इस section को समझने के लिए और दूसरे कौन से sections या rules को refer करना होगा?
Ans. - इस section को समझने के लिए आप section 94 को refer कर सकते हैं.
Q.3 - क्या retiring partner tax pay करने के लिए liable होंगे?
Ans. - हाँ, retiring partner अपनी retirement date तक के tax, interest and penalty के payment के लिए liable रहेंगे.
Q.4 - Retiring partner को क्या precautions लेने चाहिये?
Ans. - Retiring partner को अपनी date of retirement से 1 month के अन्दर Commissioner को writing में notice के through intimate करना होगा.
Q.5 - Commissioner को retirement का intimation कौन दे सकता है?
Ans. - Either retiring partner या firm कोई भी commissioner को writing में intimation का notice दे सकता है.
Q.6 - Intimation न देने के क्या consequences हैं?
Ans. - Retiring partner की liability date of receipt of intimation तक continue रहेगी.
Q.7 - इस section को example से समझते हैं?
Ans. - ABC & Co partnership firm है जिसमें A, B एंड C partner’s हैं. C 1/7/2020 को retire हो जाते, तब तक Rs.5,00,000 की Tax, interest or penalty due है और 1/7/2020 से 18/8/2020 को Rs.2,00,000 की Tax, interest or penalty due है.
CASE 1: अगर C 26/07/2020 (i.e. 1 month के अन्दर) को commissioner को अपनी retirement date intimate कर देते हैं
a) ऐसे case में C केवल 1/7/2020 (i.e. the date of retirement) तक ही tax, interest or penalty due के लिए liable रहेगा i.e. Rs 5,00,000
CASE 2: C अगर 16/08/2020 (i.e. 1 month के बाद) commissioner को अपनी retirement date intimate करते हैं
b) ऐसे case में C 16/08/2020 तक की tax, interest or penalty के लिए liable रहेंगे i.e. Rs.5,00,000/- + Rs.2,00,000/- = Rs.7,00,000/-
Q.8 - Firm पर किसी tax, interest या penalty के पेमेंट के लिए कौन liable होगा?
Ans. - ऐसे case में firm और firm का हर partner jointly and severally payment के लिए liable होगा.
Q.1 - यह section कब से applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - Private Company के case में tax, interest or penalty pay करने के लिए कौन liable रहेगा?
Ans. - अगर किसी private company में कोई tax, interest or penalty due हो रही है तो उस tax, interest or penalty को pay करने के लिए company के हर वह director liable होंगे या तो jointly या severally जो tax, interest or penalty due होने के समय पर company से associate थे.
Q.3 - क्या इस Section पर Companies Act, 2013 के provisions भी applicable होंगे?
Ans. - अगर किसी private company पर कोई tax, interest or penalty due हो रही है तो Companies Act, 2013 में कुछ भी mention किया हो पर CGST Act, 2017 का section 89 ही prevail करेगा.
Q.4 - क्या director’s हमेशा ही tax, interest or penalty pay करने के लिए liable होंगे?
Ans. - नहीं, अगर कोई भी director यह prove कर देते है के जब tax, interest or penalty due हुआ है वह उसकी लापरवाही या breach से नहीं हुआ है और director का answer अगर commissioner को satisfactory लगता है तो फिर वह director उस tax, interest or penalty pay करने के लिए liable नहीं होंगे.
Q.5 - अगर कोई private company, public company में convert हो गयी है तो क्या conversion के बाद भी उस company के director’s tax, interest or penalty pay करने के लिए liable होंगे?
Ans. - अगर private company public company में convert हो गयी है और conversion के बाद अगर कोई tax, interest or penalty due होती है तो इन tax, interest or penalty को pay करने के लिए company के director’s liable नहीं होंगे.
Q.6 - क्या इस section के अनुसार directors पर personal penalty impose होगी?
Ans. - नहीं, इस section के अनुसार किसी भी directors पर कोई personal penalty impose नहीं होगी चाहे ऊपर के sub-sections में कुछ भी mention किया गया हो.
Q.1 - यह section कब से applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - इस section को समझने के लिए और दूसरे कौन से sections या rules को refer करना होगा?
Ans. - इस section को समझने के लिए CGST rules 2017 के rules 160 को refer कर सकते हैं.
Q.3 - Receiver/Liquidator का meaning क्या होता है?
Ans. - Liquidator वह person होता है जो specially appoint होता है company के affairs को wind up करने के लिय जब company बंद हो रही है या दूसरे शब्दों में कहे तो जब company bankrupt हो रही है. Company की सम्पति liquidator द्वारा sold की जाएगी जिससे Liquidator Company के बचे हुए कर्ज़ और liability को payoff करेगा.
Q.4 - Receiver/Liquidator को कितने time period में अपने appointment की intimation commissioner को देनी है?
Ans. - Receiver/Liquidator को appointment के 30 दिनों के अन्दर उसके appointment की intimation commissioner को देनी होगी.
Q.5 - Commissioner कितने दिनों में liquidator को tax, interest या penalty का amount notify करेगा?
Ans. - Commissioner, liquidator के appointment की information प्राप्त होने की date से 3 months के भीतर liquidator को tax, interest या penalty की amount inform करेगा.
[expand title="Read More" swaptitle="Read Less"]
Q.6 - अगर Private Company के wound up पर किसी period का कोई tax, interest या penalty recover नहीं हुआ है तो इसके लिए कौन liable रहेगा?
Ans. - ऐसे case में हर director जो उस period में company में as director appointed था jointly और severally liable होंगे उस tax, interest या penalty के payment के लिए.
Q.7 - Jointly and severally का meaning क्या है?
Ans. - Jointly का मतलब होता तो साथ में और severally का मतलब होता है अलग अलग. यह दोनों के mutual understanding पर depend करेगा.
Q.8 - क्या Directors हमेशा tax, interest’s या penalty के लिए liable होंगे?
Ans. - नहीं, अगर कोई भी director ये prove कर देता है की कोई भी negligence या breach उसके रहते हुए नहीं हुआ है और commissioner director के reply से satisfied है तो वह director tax, interest’s या penalty के लिए liable नहीं होंगे.
Q.9 - Commissioner कौन से manner liquidator में tax, interest या penalty का amount notify करेगा?
Ans. - Commissioner 160 Rule of CGST Act, 2017 के according liquidator को tax, interest या penalty का amount notify करेगा Form GST DRC -24 के under.[/expand]
Q.1- यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2- Effective date of amalgamation क्या होती है?
Ans. - यह वो date है जब से parties के बीच amalgamation या merger effective होता है यानी इस date पर assets और liabilities amalgamated या merged company में transfer की जाती है. यह date respective scheme of amalgamation में specified होती है.
Q.3 - Date of order क्या होती है?
Ans. - Date of order वो date होती है जब High Court / National Company Law Tribunal (NCLT) amalgamation या merger को approve करता है.
Q.4 - यह section कौन से cases में apply होगा?
Ans. - जब किसी amalgamation या merger के case में effective date order date के पहले होती है तब यह section apply होता है.यह section उस intervening period की liabilities के treatment के बारे में बात करता है.
Q.5 - यह section किस पर apply होता है?
Ans. - यह section केवल Company’s के amalgamation और merger पर apply होता है, अन्य business organisation पर नहीं.
[expand title="Read More" swaptitle="Read Less"]
Q.6 - Business organisation का क्या मतलब होता है?
Ans. - Business organisation मतलब किसी business का structure कैसा है यानी sole proprietor, partnership, LLP, Company आदि.
Q. 7 - इस section को example के through समझते हैं?
Ans. - X Ltd और Y Ltd court के order द्वारा merge हो कर XY Ltd form करते हैं. Order pass करने की date है 01/12/2021 पर order effective हो जाएगा 01/04/2021 से यानी order date के पहले X Ltd ने 26/05/2021 को Rs.2,00,000/- के goods B Ltd को supply किए (i.e. between 01/04/2021 and 01/12/2021). अब यहाँ Rs.2,00,000/- के goods को X Ltd के turnover में as supply of goods include करेंगे और Y Ltd के turnover में as receipt of goods include करेंगे और accordingly X Ltd. और Y Ltd. tax पे करने के लिए liable होंगे. यहाँ, X Ltd. और Y Ltd. को 01/12/2021 तक distinct companies की तरह treat करेंगे, ऐसा माना जाएगा की date of order तक कोई merger हुआ ही नहीं और with effect from 01/12/2021 registration certificates cancel किए जाएंगे.
Q.8 - क्या merger और amalgamation के अलावा यह section demerger या अन्य corporate compromises और arrangement के case में भी apply होगा?
Ans. - हाँ, अगर effective date, date of order के पहले की है तब यह section applicable हो जाएगा.
Q.9 - Effective date of amalgamation और date of order by court/tribunal के बीच के period के transactions का क्या टैक्स treatment होगा?
Ans. - इस period के बीच के transactions के लिए respective parties’ individually liable होगी. ऐसा माना जाएगा की amalgamation या merger हुआ ही नहीं है और दोनों entities को date of order तक distinct companies की तरह treat किया जाएगा.
Q.10 - Amalgamating Companies को कब तक Distinct Companies माना जाएगा?
Ans. - Amalgamating Companies को date of order तक distinct companies माना जाएगा.[/expand]
Q.1 - यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - Agent कौन होता है?
Ans. - ऐसा Person जिसमे include होता है factor, broker, commission agent, arhatia, del credere agent, an auctioneer या इनके अलावा कोई भी और दूसरा mercantile agent, या इन्हें किसी भी नाम से पुकारा जाए, जो किसी और के behalf पर carry कर रहा हो business of supply or receipt of goods or या services या सभी, इन सभी को Agent कहा जाएगा.
Q.3 - Principal कौन होता है?
Ans. - ऐसा Person जिसके behalf पर agent business carry करता है.
Q.4 - Agent और principal के case मैं किसकी कितनी liability रहेगी?
Ans. - According to एक्ट tax and other sum pay करने के लाए agent और principal की jointly and severally liability रहेगी.
Q.5 - Jointly and severally का meaning क्या है?
Ans. - Jointly का मतलब होता तो साथ में और severally का मतलब होता है अलग अलग. यह दोनों के mutual understanding पर depend करेगा. Agent Primary liable रहेगा pay करने के लिए, जब Taxable Goods Agent ने supply किये है, जब Taxable goods agent द्वारा खरीदे गए हो Principal के behalf पर इस Section के under Principal और Agent या तो साथ में या फिर अलग अलग liable होंगे tax pay करने के लिए