Q.1 - यह section कब से applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - Anti-Profiteering Measure को समझने के लिए और दूसरे कौन से sections या rules को refer करना होगा?
Ans. - Anti-Profiteering Measure को समझने के लिए CGST Act, 2017 के Section 171 और CGST Rules, 2017 के rules 21, 122, 123, 124, 125, 126, 127, 128, 129, 130, 131, 132, 133, 134, 135, 136, 137 को refer कर सकते हैं.
Q.3 - अगर कोई goods या services में tax के rate कम होते हैं या supplier को किसी तरह का ITC में benefit मिलता है तो क्या उसको यह benefit अपने customer को forward करना पड़ेगा?
Ans. - हाँ, अगर कोई goods या services में tax के rate कम होते हैं या supplier को किसी तरह का ITC में benefit मिलता है तो उसको यह benefit अपने customer को forward करना पड़ेगा.
Q.4 - क्या Government Anti-Profiteering के case में कोई authority का गठन कर सकती है?
Ans. - हाँ, Central Government, Council की recommendation पर, notification द्वारा, एक authority का गठन कर सकती है, या किसी भी law के according गठित मौजूदा authority को इस बात की जांच करने के लिए empower कर सकती है कि क्या किसी registered person द्वारा ITC का benefit उठाया गया है या उसके ITC में कमी आई है और बनाई गई authority अपनी prescribed powers को use करके दिए गए prescribed functions को पूरा करेगी.
Q.5 - अगर कोई Anti-Profiteering Measure का contravention करते पाया जाता है तो ऐसे case में क्या होगा?
Ans. - अगर authority के examine करने पर अगर कोई registered person Anti Profiteering Measure का contravention करते पाया जाता है तो उसके ऊपर penalty charge की जाएगी जो 10 % of profiteered amount होगी.
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Q.6 - अगर registered person authority द्वारा order pass होने के तीस दिनों के अंदर profiteered amount जमा कर दी जाती है, तो ऐसे case में क्या होगा?
Ans. - यदि authority द्वारा order pass होने के 30 days के under profiteered amount जमा कर दी जाती है, तो कोई penalty नहीं लगाई जाएगी.
Q.7 - Anti-Profiteering Measure के लिए कौन सी authority होगी?
Ans. - Authority कुछ इस प्रकार होगी:-
• Chairman, जो ऐसी post hold करेगा या कर चूका है जो equivalent हो Secretary to the Government of India की rank के; और
• 4 technical members जिन्होंने commissioners of state tax or central tax की post hold की हुई है या उस post पर रहे है 1[कम से कम 1 साल के लिए] या जो वह post equivalent हो Commissioners of State Tax or central tax के existing law के under, जिन्हें nominated किया गया है council के द्वारा.
Q.8 - क्या Council Anti-Profiteering Measure के लिए Standing Committee and Screening Committees बना सकती है?
Ans. - हाँ, Council चाहे तो Anti-Profiteering Measure के लिए Standing Committee and Screening Committees बना सकती है.
Q.9 - Standing Committee का composition क्या होगा?
Ans. - Council जो standing committee बनाएगी Anti-Profiteering के लिए उसमे State Government और Central Government officer’s रहेंगे जो council द्वारा Nominated किए जायेंगे.
Q.10 - Screening Committees का composition क्या होगा?
Ans. - State Governments के द्वारा state level पर एक screening committee बनाई जाएगी जो consist करेगी-
• एक State Government का officer, जो commissioner के द्वारा nominate किया जाएगा; और
• एक Central Government का officer, जो chief commissioner के द्वारा nominate किया जाएगा.
Q.11 - Authority का secretary कौन बन सकते है?
Ans. - ऐसे officer जिनकी rank Additional Commissioner से कम न हो और जो directorate general of anti-profiteering में काम करते हो वह authority का secretary बन सकते है. Directorate General of Anti-Profiteering, जो बदल कर Additional Director General of Safeguards हो गया है.
Q.12 - Procedure और methodology बनने की power किसके पास है?
Ans. - Authority determine करेगी methodology और procedure कि किसी goods या services में tax की rate को कम करना हैं या supplier को किसी तरह का ITC में मिला benefit अपने customer को forward करना है by way of commensurate reduction in prices.
Q.13 - क्या Standing Committee and Screening Committee application को examine कर सकती है?
Ans. - हाँ, Standing Committee and Screening Committee application को examine कर सकती है.
Q.14 - क्या Director General of Anti-Profiteering किसी और statutory authority से cooperation ले सकता है?
Ans. - हाँ, अगर director general of anti-profiteering को लगता है की उसे किसी और statutory authority की opinion चाहिए तो वो मांग सकता है.
Q.15 - क्या Director General of Anti-Profiteering के पास power है की वो summon कर सकता है किसी भी person को evidence and documents produce करने के लिए?
Ans. - Authority, Director General Of Anti-Profiteering or इनके द्वारा authorized किए गए हुए officer के पास power है की वो summon कर सकता है किसी भी person को evidence and documents produce करने के लिए.
Q.16 - Authority द्वारा decision कैसे लिया जाएगा?
Ans. - Authority द्वारा decision लिया जाएगा:-
• A minimum 3 member’s मिलकर quorum बनाएंगे meeting के लिए;
• अगर किसी भी member का decision बदल जाता है किसी भी point of time पर तो chairman के पास second और casting vote होगा.
Q.17 - Authority का tenure कितना रहेगा?
Ans. - Authority का tenure 5 साल के लिए रहेगा जब से chairman ने अपना office संभाला है तब से या unless the council recommends otherwise.[/expand]
Q.1 - यह section कब से applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - Rounding off of tax etc. को समझने के लिए और दूसरे कौन से sections या rules को refer करना होगा?
Ans. - Rounding off tax etc. को समझने के लिए CGST Act, 2017 के Section 170 को refer कर सकते हैं.
Q.3 - क्या Tax का Amount, Interest, Penalty, Refund या कोई Other Payable Amount को round off किया जा सकता है?
Ans. - हाँ, CGST Act, 2017 के provisions के according tax का amount, interest, penalty, refund या कोई other payable amount को nearest rupee में round off किया जा सकता है और इस purpose के लिए, जहां ऐसा amount रुपये का एक Part है जिसमें पैसे हैं, ऐसा part पचास पैसे या उससे अधिक है, तो इसे बढ़ाकर एक रुपये कर दिया जाएगा और यदि ऐसा Part पचास पैसे से कम है तो इसे ignore कर दिया जाएगा.
Q.1 - यह section कब से applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - Service of notice in certain circumstances को समझने के लिए और दूसरे कौन से sections या rules को refer करना होगा?
Ans. - Service of notice in certain circumstances को समझने के लिए CGST Act, 2017 के Section 169 को refer कर सकते हैं.
Q.3 - Service of notice कितने modes से दिया जा सकता है?
Ans. - Service of notice निम्नलिखित modes से दिया जा सकता है:-
• Direct courier, जो की directly taxable person के registered address पर या उसके manager को या authorized representative को या उसके Advocate को या उसके Tax Practitioner को जिसके पास taxable person के behalf पर proceedings में appear होने की authority है या उस person को जो taxable person के business में regular employee है या फिर taxable person की family के किसी भी adult member को जो उसके साथ उसके घर पर रहता है;
• Taxable person के last known business or residence address पर registered post or speed post or courier with due acknowledgement शामिल है फिर चाहे वह courier उसके authorized representative को ही क्यों न दिया गया हो;
• Taxable person के registered E-Mail address पर mail करने का जो उसने registration के समय दिया था या जो भी उसके द्वारा updated E-Mail address होगा;
• GST के common portal पर available करवा कर;
• उस area के newspaper में publish करवा कर जिस area में taxable person रहता है या business करता है;
• Last known business or residence address पर notice, decision, order, summons, या कोई other communication को चिपका दिया जाए लेकिन इस तरीके का इस्तमाल तब किया जाएगा जब बताये गए पाँचों तरीके practically possible ना हों और अगर यह भी practically possible ना हो पाया तो notice, decision, order, summons, या कोई other communication की copy को issue की गई authority या issue किये गए officer के notice board पर भी चिपकाया जा सकता है और सभी तरह के notice, decision, order, summons, या कोई other communication उस दिन से served or effective माने जायेंगे जिस दिन से उसे चिपकाया गया है;
Q.4 - किसी भी decision, order, summons, notice का communication कब मान लिया जाएगा?
Ans. - किसी भी decision, order, summons, notice का communication तब मान लिया जाएगा जब उसे publish किया गया हो या उसे tendered किया गया हो या उसकी copy चिपका कर दे दी गई है.
Q.5 - Speed post और registered post के case में decision, order, summons and notice का communication कब मान लिया जाएगा?
Ans. - Speed post और registered post के case में माना जाएगा की जितना time उस post को normally पहुँचने में लगता है उतना time expire होने के बाद यह माना जाएगा कि addressee द्वारा वह post receive कर लिया गया है unless addressee ये proof ना कर दे की उसको वह post receive नहीं हुई है.
Q.1 - यह section कब से applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - Power of Government to extend time limit in special circumstances को समझने के लिए और दूसरे कौन से sections या rules को refer करना होगा?
Ans. - Power of Government to extend time limit in special circumstances को समझने के लिए CGST Act, 2017 के Section 168A को refer कर सकते हैं.
Q.3 - Government कौन से cases में time limit extend कर सकती है?
Ans. - इस Act में किसी भी बात के होते हुए भी, Government, Council की recommendations पर, notification द्वारा, इस act में specified, notified या determined time limit को उन actions के relation में extend कर सकती है जिन्हें unavoidable reasons (जैसे युद्ध, महामारी, बाढ़, सूखा, आग, चक्रवात, भूकंप या Nature के कारण होने वाली आपदा) के कारण follow नहीं किया गया है और इस power का इस्तमाल कर के government notifications को retrospectively लागु करवा सकती है means अगर notifications के जरिये government ने act में किसी तरह के changes किये हैं तो वह चाहे तो उस change को पिछली date से applicable कर सकती है, बशर्ते act के commencement से पहले की date न हो.
Q.4 - Force Majeure से आप क्या समझते है?
Ans. - ऐसे cases जो unavoidable reasons से हो जैसे युद्ध, महामारी, बाढ़, सूखा, आग, चक्रवात, भूकंप या Nature के कारण होने वाली आपदा जो provision को implement करने से रोके उसे Force Majeure कहते है.
Q.1 - यह section कब से applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - Power to issue instructions or directions को समझने के लिए और दूसरे कौन से sections या rules को refer करना होगा?
Ans. - Power to issue instructions or directions को समझने के लिए CGST Act, 2017 के Section 168 को refer कर सकते हैं.
Q.3 - CGST Act 2017 के Section 168 के under किसे power है To Issue Instructions or Directions?
Ans. - CGST Act 2017 के Section 168 के under implementation में uniformity लाने के लिए Board, Central Tax Officers को ऐसे orders, instructions या directions दे सकता है जिन्हें वह necessary या accurate समझता है और उसके बाद ऐसे सभी officers और एसे सभी लोग जो इस act को implement करने के लिए employed किये गए हैं वह सभी लोग ऐसे orders, instructions या directions का पालन करेंगे और Board की approval से Commissioner act द्वारा दी गई सभी तरह की powers को exercise कर सकता है.
Q.1 - यह section कब से applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - Delegation of powers को समझने के लिए और दूसरे कौन से sections या rules को refer करना होगा?
Ans. - Delegation of powers को समझने के लिए CGST Act, 2017 के Section 167 को refer कर सकते हैं.
Q.3 - क्या कोई authority और officer अपने powers delegate सकता है?
Ans. - Commissioner, notifications के द्वारा, conditions लगा कर direction दे सकता है कि CGST Act, 2017 के according किसी भी authority या officer द्वारा exercise की जाने वाली कोई भी power किसी other authority या officer द्वारा भी exercise की जा सकती है.
Q.1 - यह section कब से applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - Laying of rules, regulations and notifications को समझने के लिए और दूसरे कौन से sections या rules को refer करना होगा?
Ans. - Laying of rules, regulations and notifications को समझने के लिए CGST Act, 2017 के Section 166 को refer कर सकते हैं.
Q.3 - Government या Board के द्वारा बनाए गए rules और notifications को issue होने के कितने दिनों के लिए parliament के दोनों houses में present करना होगा?
Ans. - CGST Act, 2017 के अनुसार Government या Board के द्वारा बनाए गए rules और notifications को issue होने जितनी जल्दी हो सके, parliament के दोनों houses में कम से कम 30 दिनों के लिए present करना होगा भले ही एक Session में हो या उससे ज्यादा session में.
Q.4 - Rules, notifications, regulations कब effective होंगे?
Ans. - अगर दोनों houses किसी भी rules, notifications, या regulations में modification करने के लिए agree होते हैं या उन rules, notifications, regulations को cancel करने के लिए agree होते हैं तो वह rules, notifications, regulations modification के बाद effective होंगे या cancel हो जायेंगे, जैसा भी दोनों houses के session में decide होगा.
Q.5 - क्या कोई notification, circular, और rules जिन्हें issue किया गया है वो previously issued notification, circular, और rules को effect कर सकते है?
Ans. - नहीं, कोई notification, circular, or rules जिन्हें issue किया गया है, previously issue किए गए notification, circular, और rules को effect किए बिना applicable होंगे.
Q.1 - यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - इस section में government के पास क्या powers हैं?
Ans. - इस section के government के पास power है की Council की Recommendations पर Government Notification के द्वारा, इस Act के Provisions को applicable करने के लिए Rules बना सकती है:
• Government उन सभी Matters के लिए Rules बना सकती है जो इस Act द्वारा prescribed किए जाने हैं, या Prescribed किए जा सकते हैं या
• Provision को clarify करने के लिए Rules बनाए जा सकते हैं.
• यह Section ऐसा rule बनाने की पॉवर देता है जो इस Act के Provision or Rules को Retrospective effect से apply कर सके, लेकिन इस Act के provisions के बनने से पहले applicable नहीं होगा.
• और बनाए गए Rules का Contravention करने पर Rs.10,000/- से ज्यादा की Penalty Charge नहीं की जाएगी.
Q.1 - यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - इस section में कौनसे documents covered हैं?
Ans. - इस Act की किसी authority द्वारा pass या issue किये गए कोई decision, order, notice, certificate या अन्य documents.
Q.3 - Errors apparent on the face of record को कौन rectify कर सकता है?
Ans. - किसी भी तरह का error जो की face of the record में easily identifiable है rectify किया जा सकता है, उस authority द्वारा जिसने वह document issue या पास किया हैं.
Q.4 - Authority कब mistakes/errors को rectify कर सकती है?
Ans. - Authority तब mistakes/errors को rectify कर सकती है:
• जब वह mistakes/errors GST officer द्वारा notice में लाया गया;
• Suo moto;
• Document को issue करने के 3 months के अन्दर अगर affected person उस error/mistake को notice में लाए.
Q.5 - Mistake को rectify करने की क्या time limit है?
Ans. - Document को issue करने के 6 months के बाद कोई rectification नहीं किया जा सकता. लेकिन यह time limit तब apply नहीं होगी जब rectification सिर्फ clerical/arithmetical error का है.
Q.6 - Rectification कौन ले सकता है?
Ans. - Authority या officer या affected person rectification ले जा सकता है.
Q.7 - क्या assesse को notice दिया जाएगा?
Ans. - यदि adverse effect पड़ता है तो principles of natural justice को follow करना होगा.
Q.1 - यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - यह section कब applicable होगा?
Ans. - जब केवल गलतियों के कारणों से proceedings and notices की validity को challenge किया जाता है, तब इस provision का aim proceedings को एसे challenges से बचाना है.
Q.3 - इस section में कौन सी proceedings cover होंगी?
Ans. - अगर following proceedings इस Act के under accept, made, issue, या initiate करते हैं किसी भी provision में तो cover किए जाएंगे:
• Assessment;
• Re-assessment;
• Adjudication;
• Review;
• Revision;
• Appeal;
• Rectification;
• Notice;
• Summons;
• Other proceedings.
Q.4 - किन grounds में mentioned proceedings को invalid नहीं मानेंगे?
Ans. - यह proceedings invalid नहीं मानी जाएगी सिर्फ ऐसे reasons की वजह से जैसे:
• Mistake;
• Defect;
• Omission.