Q.1 – Carry forward क्या होता है?
Ans. - किसी particular year में अगर profit या income से loss set off नहीं हो पाता है तो बचे loss को आगे के years में हुए profit और income से set off करने के लिए अगले साल में ले जाया जाता है जिसे carry forward कहते हैं.
Q.2 – क्या एक head के Carry forward loss को दूसरे head की income से set off किया जा सकता है?
Ans. – नहीं, carry forward loss का inter-head set off allowed नहीं है.
मतलब सिर्फ intra-head set off होगा.
Q.3 – Specified business के loss को कौन सी business income से set off कर सकते हैं?
Ans. – Specified business का loss सिर्फ specified business income से set off हो सकता है.
Q.4 – Section 35AD में specified business के carried forward loss को कितने years के लिए carried forward कर सकते हैं?
Ans. - Section 35AD में specified business के loss को कितनी भी years के लिए carried forward किये जा सकते हैं.
Q.5 – क्या specified business के loss को carried forward और set off avail करने के लिए return timely file करना compulsory है?
Ans. – हाँ.
Q.6 – क्या specified business के loss का set off avail करने के लिए business continue करना होगा?
Ans. - नहीं, specified business के loss का set off avail करने के लिए business continue करना नहीं होगा.
Q.1 – Carry forward क्या होता है?
Ans. - किसी particular year में अगर profit या income से loss setoff नहीं हो पाता है तो बचे loss को आगे के years में हुए profit और income से set-off करने के लिए अगले साल में ले जाया जाता है जिसे carry forward कहते हैं.
Q.2 – क्या एक head के Carry forward loss को दूसरे head की income से set-off किया जा सकता है?
Ans. – नहीं, carry forward loss का inter-head set-off allowed नहीं है.
मतलब सिर्फ intra-head set-off होगा.
Q.3 – क्या speculative business के loss को carried forward and set-off करने के लिए same business continue करना जरुरी है?
Ans. – नहीं, speculative business के loss को carried forward and set-off करने के लिए same business continue करना ज़रूरी नहीं है.
Q.4 – क्या speculative business के carried forward loss को दूसरे business के income से set-off कर सकते हैं?
Ans. – नहीं, speculative business loss सिर्फ speculative income से set-off होगा.
Q.5 - यह loss कितने period के लिए carried forward हो सकता है?
Ans. – यह loss जिस year में loss incur हुआ उससे immediately succeeding 4 year के लिए carried forward होगा.
Q.6 – Speculative business के loss के साथ साथ अगर Unabsorbed depreciation, Unabsorbed scientific research expenditure, या unabsorbed family planning expenditure भी है तो किसे पहले set-off करेंगे?
Ans. - सबसे पहले speculative business के loss को speculative business के income से set-off करने को priority दिया जायेगा उसके बाद unabsorbed depreciation and unabsorbed capital expenditure on scientific research and unabsorbed capital expenditure on family planning को set-off किया जायेगा.
Q.1 – Carry forward क्या होता है?
Ans. - किसी particular year में अगर profit या income से loss set-off नहीं हो पाता है तो बचे loss को आगे के years में हुए profit और income से set-off करने के लिए अगले साल में ले जाया जाता है जिसे carry forward कहते हैं.
Q.2 – क्या एक head के Carry forward loss को दूसरे head की income से set-off किया जा सकता है?
Ans. – नहीं, carry forward loss का inter-head set-off allowed नहीं है, मतलब सिर्फ intra-head set-off होगा.
Q.3 – Section 72AB में किस बारे में बताया गया है?
Ans. - यह section Cooperative banks के business reorganization में accumulated loss और unabsorbed depreciation allowance किस तरह से set-off या carry forward किये जाएँगे इस बारे में बताता है.
Q.4 – Cooperative banks के business reorganization से क्या मतलब है?
Ans. – Cooperative banks के business reorganization से मतलब है किसी cooperative bank का amalgamation या demerger या primary cooperative bank का conversion.
Q.5 - जहां previous year के दौरान amalgamation हुआ है तब successor cooperative बैंक द्वारा, predecessor cooperative bank के accumulated losses और unabsorbed depreciation को किस तरह से set-off किया जाएगा?
Ans. - ऐसे case में जहां previous year के दौरान amalgamation हुआ है तब successor cooperative बैंक द्वारा, predecessor cooperative bank के accumulated losses और unabsorbed depreciation को इस तरह से set-off किया जाएगा जैसे कि amalgamation नहीं हुआ था, और इस act में loss और depreciation allowance को set-off & carry forward से related सभी provisions बताये गए तरीके से apply होंगे.
Q.6 – इस section में set-off and carried forward का benefit avail करने के लिए क्या कोई condition fulfil करना है?
Ans. – हाँ, following condition को fulfil करना होगा:-
Q.7 – In Co-operative banks के business reorganization में resulting company को accumulated loss और unabsorbed depreciation कितना set-off होगा?
Ans. - Accumulated loss या unabsorbed depreciation के set-off का amount इस तरह से calculate किया जाएगा:-
Q.8 –इस section में बताई गई condition किसी previous year में fulfil नहीं होगी तो क्या implication होगा?
Ans. – अगर Section 72A में बताई गई condition fulfil नहीं होती है तो Successor co-operative bank को जो accumulated loss और unabsorbed depreciation का set-off मिला था वो उस previous year में income माना जायेगा जहा condition fulfil नहीं हुई है और उस income पर tax charge होगा.
Q.1 – Carry forward क्या होता है?
Ans. - किसी particular year में अगर profit या income से loss set-off नहीं हो पाता है तो बचे loss को आगे के years में हुए profit और income से set-off करने के लिए अगले years में ले लिया जाता है जिसे carry forward कहते हैं.
Q.2 – क्या एक head के Carry forward loss को दूसरे head की income से set-off किया जा सकता है?
Ans. – नहीं, carry forward loss का inter-head set-off allowed नहीं है.
मतलब सिर्फ intra-head set-off होगा.
Q.3 – Section 72AA में किस बारे में बताया गया है?
Ans. – Section 72AA, Central Government द्वारा banking company’s के amalgamation के case में set-off and carry forward के बारे में बात करता है.
Q.4 – यह section कौन सी companies के amalgamation के बारे में बात करता है?
Ans. - Following Company’s के amalgamation के बारे में बात करता है-
• Central government द्वारा sub-section (7) of section 45 of the Banking Regulation Act, 1949 के under sanctioned scheme में एक या एक से ज्यादा banking company का किसी दूसरे banking institution के साथ; या
• Banking companies act के under central government द्वारा sanction की गई scheme के through एक या एक से ज्यादा corresponding new bank का amalgamation किसी दूसरे corresponding new bank के साथ हुआ हो; या फिर
• General insurance business act के under central government द्वारा sanctioned scheme के through एक या एक से ज़्यादा government company का amalgamation किसी और government company के साथ.
Q.5 - अगर Section 72AA में बताई गई Company’s के amalgamation का unabsorbed depreciation और accumulated loss पर क्या effect होगा?
Ans. – अगर Section 72AA में बताई गई companies का amalgamation होता है तो amalgamating companies का unabsorbed depreciation और accumulated loss, amalgamated banking institution, amalgamated corresponding new बैंक, या amalgamated government company का unabsorbed depreciation और accumulated loss माना जाएगा, और amalgamated banking institution, amalgamated corresponding new बैंक, या amalgamated government company मतलब new formed companies पर set-off & carry forward के provisions apply होंगे.
Q.1 – Carry forward क्या होता है?
Ans. - किसी particular year में अगर profit या income से loss set-off नहीं हो पाता है तो बचे loss को आगे के years में हुए profit और income से set-off करने के लिए अगले years में ले जाया जाता है जिसे carry forward कहते हैं.
Q.2 – क्या एक head के Carry forward loss को दूसरे head की income से set-off किया जा सकता है?
Ans. – नहीं, carry forward loss का inter-head set-off allowed नहीं है.
मतलब सिर्फ intra-head set-off होगा.
Q.3 – Section 72A में किस बारे में बताया गया है?
Ans. – Section 72A carried forward business loss और unabsorbed depreciation के बारे में बात करता है in case of:-
• Amalgamation of companies (Section 72A (1), (2), (3)); or
• Demerger of companies (Section 72A (4) & (5)); or
• Reorganization of companies (Section 72A (6) & (6A)).
Q.4 – यह section कौन सी companies के amalgamation के बारे में बात करता है?
Ans. - यह section इन सभी company के amalgamation पर applicable है:
• ऐसी company का जो industrial undertaking own करती है या ship या hotel के business में है उसका amalgamation दूसरी company के साथह होता है; या
• किसी banking company जिसे clause (c) of section 5 of the Banking Regulation Act, 1949 में define किया गया है, उसका specified bank के साथ amalgamation हुआ है; या
• एक या एक से ज्यादा public sector companies का amalgamation दूसरी public sector company या companies के साथ होता है; या
• ऐसी company जो की पहले एक public sector company थी उसका amalgamation किसी और company के साथ होता है , लेकिन strategic disinvestment में entered share purchase agreement के तहत लगाए गए restrictions के कारण 5 साल तक amalgamation नहीं कर सकती थी, अब वह period ख़त्म होने के बाद ऐसे amalgamation में enter कर रही है.
Q.5 - अगर Section 72A में बताई गई Company’s के amalgamation का unabsorbed depreciation और accumulated loss पर क्या effect होगा?
Ans. – Section 72A में specified companies अगर amalgamate होती है तो amalgamating company के accumulated business loss and unabsorbed depreciation को amalgamated company का accumulated loss and unabsorbed depreciation मान लेंगे उस previous year से जिसमे amalgamation हुआ है कुछ condition के satisfaction पर और amalgamated company पर set-off and carry forward apply होगा.
Q.6 – कौन सी condition के satisfied होने पर amalgamated company को amalgamating company के accumulated losses and unabsorbed depreciation का set-off and carried forward allowed होगा?
Ans. – Following condition के satisfied होने पर ही amalgamated company को amalgamating company के accumulated losses and unabsorbed depreciation का set-off and carried forward allowed होगा–
1. Amalgamating company के लिए condition:-
• Amalgamating company उस business में 3 या उससे ज्यादा साल के लिए engaged है, जिसमे की accumulated loss हुआ है या unabsorbed depreciation है.
• Amalgamating company ने amalgamation की date पर fixed assets के book value का कम से कम 3/4th value amalgamation की date से पहले continuously 2 साल तक hold किया है.
2. Amalgamated company के लिए condition–
• Amalgamated company amalgamation में प्राप्त amalgamating company की fixed assets के बुक value का कम से कम 3/4 value amalgamation की तारीख से 5 साल के minimum period के लिए continuously hold करती है;
• Amalgamated company amalgamating company के business को amalgamation की date से को कम से कम 5 साल के लिए continue करती है;
• Amalgamated company को amalgamating company के business का revival ensure करने के लिए और यह ensure करने के लिए की business का amalgamation genuine business purpose के लिए है दूसरी लगाई conditions को भी fulfil करना होगा.
Q.7 – अगर ऊपर बताई गई condition किसी previous year में fulfil नहीं होगी तो क्या implication होगा?
Ans. – अगर Section 72A में बताई गई condition fulfil नहीं होती है तो Amalgamated company को जो loss और unabsorbed depreciation का set-off मिला था वो उस previous year में income माना जाएगा जहाँ condition fulfil नहीं हुई है और उस income पर tax charge होगा.
Q.8 – In demerger of companies, set-off and carried forward provision कैसे apply होंगे?
Ans. - In demerger of companies–
• Accumulated loss & unabsorbed depreciation अगर transferred undertaking से directly related तो इनका set-off & carry forward resulting company के द्वारा किया जा सकता है;
• Accumulated loss & unabsorbed depreciation अगर transferred undertaking से directly related नहीं है तो इनका distribution asset के proportion में होगा जो demerged company ने retain करी है और जो resulting company को transfer हुई है.
Q.9 – In reorganization of business of companies, set-off and carried forward provision कैसे apply होंगे?
Ans. - अगर business reorganisation हुआ है जिसमे:-
• Firm या proprietary concern company में succeed हुआ है section 47 में बताई गई condition को comply करते हुए , तो ऐसे firm या proprietary concern के accumulated loss और unabsorbed depreciation उस previous year के लिए successor company के accumulated loss और unabsorbed depreciation मान लिए जाएँगे;
• अगर किसी year में section 47 के clause 13 और 14 का company द्वारा compliance नहीं किया जाता है तो जिस year में condition comply नहीं करी यह amount company की income का part मान कर टैक्स लगाया जाएगा;
• जहाँ business reorganisation हुआ हो जिसमे private company या unlisted public company succeed होती है एक limited liability partnership में section 47 के clause 13b का compliance करते हुए तो इस act में कुछ भी कहा गया हो उसके बावजूद , predecessor company का accumulated loss और unabsorbed depreciation उस previous year के लिए succeeding limited liability partnership का accumulated loss और unabsorbed depreciation मान लिया जाएगा;
• अगर किसी year में section 47 के clause 13b का compliance limited liability partnership द्वारा नहीं किया जाता है तो जिस year में condition comply नहीं करी यह amount limited liability partnership की income का part मान कर tax लगाया जाएगा.
Q.1 – Carry forward क्या होता है?
Ans. - किसी particular year में अगर profit या income से loss set-off नहीं हो पाता है तो बचे loss को आगे के years में हुए profit और income से set-off करने के लिए अगले साल में ले जाया जाता है जिसे carry forward कहते हैं.
Q.2 – क्या एक head के Carry forward loss को दूसरे head की income से set-off किया जा सकता है?
Ans. – नहीं, carry forward loss का inter-head set-off allowed नहीं है.
मतलब सिर्फ intra-head set-off होगा.
Q.3 – Profits and gains of business or profession head के loss को कैसे carry forward and set-off करते हैं?
Ans. – जहाँ assessee को business and profession head में loss होता है जो की speculative nature का नहीं है और वो loss दूसरे head की income से पूरा set-off नहीं हो पता है तो:-
• जितना loss set-off नहीं हो पाया है उसको आगे के assessment year के लिए carried forward कर देंगे; और
• उस loss को आगे के assessment year मे business and profession head में हुई income से set-off करेंगे; और
• अगर तब भी loss पूरा set-off नहीं हो पाया है तो उसको आगे के assessment year में set-off के लिए carry forward करेंगे.
Q.4 – Profits and gains of business or profession head के loss को कितने years तक carried forward किया जा सकता है?
Ans. – यह loss maximum 8 years तक carried forward किया जा सकता है, जिस साल loss compute हुआ है वहां से immediately 8 succeeding assessment year तक.
Q.5 – अगर किसी business को section 33B (Rehabilitation allowance) में specified conditions से loss है तो क्या treatment होगा? और ऐसे loss को कितने years के लिए carry forward किया जा सकता है?
Ans. – अगर किसी business को loss है और section 33B में specified condition के कारण business discontinued है और business discontinued होने से 3 years के अन्दर revive, re-establish या reconstructed हो जाता है तो इस business के loss को business revive, re-establish या reconstructed होने वाले previous year से आगे के assessment year के लिए carried forward किया जाएगा और
• इस loss को , business and profession की income की income से set-off किया जा सकता है; और
• अगर पूरा loss set-off नहीं हो पाया है और in case जो business revive, re-establish या reconstructed हुआ है वो assessee continue करता है तो जितना loss बचा है उसको आगे के assessment year के लिए carried forward कर सकते हैं
• यह loss business revive, re-establish या reconstructed होने वाले assessment year से next 7 assessment year तक carried forward किया जा सकता है.
Q.6 - Business loss के साथ-साथ अगर Unabsorbed depreciation, Unabsorbed scientific research expenditure, या unabsorbed family planning expenditure भी है तो पहले किसे set-off किया जाएगा?
Ans. – Section 72 (2) के according, सबसे पहले business loss को set-off किया जाएगा और फिर Unabsorbed depreciation, Unabsorbed scientific research expenditure, या unabsorbed family planning expenditure का set-off available होगा.
Q.7 - Unabsorbed depreciation या Unabsorbed scientific research expenditure को कितने years के लिए carried forward कर सकते हैं?
Ans. – Unabsorbed depreciation या Unabsorbed scientific research expenditure को carried forward करने की कोई limit नहीं है.
Q.8 – क्या business loss का carried forward और set-off avail करने के लिए return timely file करना compulsory है?
Ans. – हाँ, business loss का carried forward और set-off avail करने के लिए return timely file करना compulsory है.
Q.9 – क्या किसी business के loss को carried forward and set-off करने के लिए same business continue करना जरुरी है?
Ans. – नहीं, एक business का loss दूसरे business से set-off हो सकता है पर speculative business का loss, speculative business की income से ही set-off होगा.
Q.10 – क्या speculative business के carried forward loss को दूसरे business के income से set-off कर सकते हैं? यह loss कितने period के लिए carried forward हो सकता है?
Ans. – नहीं, speculative business loss सिर्फ speculative income से set-off होगा. यह loss जिस year में loss incur हुआ उससे immediately succeeding 4 year के लिए carried forward होगा.
Q.11 – Section 35AD में specified business के carried forward loss को कैसे set-off किया जा सकता है और कितने year’s के लिए?
Ans. - Section 35AD में specified business के loss सिर्फ Section 35AD में specified business की income से set-off हो सकते हैं, ऐसे loss कितनी भी year’s के लिए carried forward किए जा सकते हैं.
Q.1 – Carry forward क्या होता है?
Ans. - किसी particular year में अगर profit या income से loss set-off नहीं हो पाता है तो बचे हुए loss को आगे के years में हुए profit और income से set-off करने के लिए आगले साल में ले जाया जाता है जिसे carry forward कहते हैं.
Q.2 - House property head के loss को कैसे carry forward and set off करते हैं?
Ans. – जहाँ assessee को किसी assessment year में house property head का loss हुआ है और वह loss किसी दूसरे head से पूरा set off नहीं हो पाया है तो:-
• जितना loss set off नहीं हुआ है उसको आगे के assessment year के लिए carried forward करेंगे; और
• उस loss को आगे के assessment year में हुए house property के profit से set off करेंगे;
• अगर अब भी पूरा loss set off नहीं हो पाया तो आगे के सालो के लिए carried forward करेंगे.
Q.3 – House Property का loss कितने assessment year तक carried forward किया जा सकता है?
Ans. - जिस assessment year में loss compute हुआ है उसके immediately succeeding 8 assessment year तक loss carried forward कर सकते हैं.
Q.4 – क्या एक head के carried forward Losses को दूसरे head के income से set off कर सकते हैं?
Ans. – नहीं, एक head के carried forward Losses को दूसरे head के income से set off नहीं कर सकते हैं
Q.5 – क्या carried forward loss का set off लेने के लिए return timely file करना compulsory है?
Ans. – हाँ, पर house property के loss को carried forward and set off करने ले लिए return का due date तक file होना ज़रूरी नही है पर अगर belated return file हुआ है तो भी house property का loss carried forward हो सकता है.
Q.1 – Set-off क्या होता है?
Ans. - किसी particular year में income tax act में होने वाले profit या income से losses का adjustment करना set-off कहलाता है.
Q.2 - Inter-head adjustment किसे कहते हैं ?
Ans. –Inter head adjustment में एक head के loss को दूसरे head की income से set-off करते हैं.
Q.3 – Section 71 में किस तरह के set-off provision के बारे में बताया गया है?
Ans. – Section 71 में Inter-head set-off से related provision के बारे में बताया गया है.
Q.4 – Income tax act में inter-head में set-off कैसे होता है?
Ans. – किसी assessment year में capital gain head के अलावा किसी head में हुए loss को किसी दूसरे head की income से set-off कर सकते हैं, लेकिन house property का loss किसी दूसरे head की income से सिर्फ Rs.2 Lakh तक ही set-off हो सकता है.
Q.5 – क्या किसी head के loss को capital gain head की income से set-off कर सकते हैं?
Ans. – हाँ, किसी head के loss को capital gain head की income से set-off कर सकते हैं.
Q.6 – क्या capital gain head के loss को दूसरे head की income से set-off कर सकते हैं?
Ans. – नहीं, capital gain head का loss किसी दूसरे head की income से set-off नहीं हो सकता है, Capital gain head के loss में सिर्फ intra-head adjustment किया जा सकता है.
Q.7 - क्या Profits and gains of business or profession head के loss को दूसरे सारे head के साथ set-off किया जा सकता है?
Ans. – नहीं, Profits and gains of business or profession head के loss को income assessable under salaries head से set-off नहीं कर सकते हैं.
Q.8 – क्या house property head के loss को दूसरे सभी head से set-off किया जा सकता है?
Ans. – हाँ, पर house property head का loss सिर्फ Rs. 2 lac तक ही दूसरे head से set-off हो पाएगा और loss Rs. 2 Lakh से ज्यादा है तो उसे next assessment year के लिए carry forward कर दिया जाएगा.
Q.9 – Inter-head adjustment में कौन से restriction को ध्यान देना होता है?
Ans. - Inter-head adjustment में following restriction को ध्यान देना होता है–
• Inter- head adjustment के पहले, Intra-head adjustment करना जरुरी है;
• Speculative business का loss किसी other income से set-off नहीं हो सकता, जबकि speculative loss सिर्फ speculative income से set-off होगा;
• Capital gain head का loss किसी दुसरे head की income से set-off नहीं हो सकता है;
• Lottery, gambling , betting का loss किसी भी income से set-off नहीं होगा यह loss lottery gambling betting की income से भी set of नहीं सकता;
• Lottery winning , crossword puzzle, race की income से loss set-off नहीं होगा;
• Owning and maintaining race horse के business का loss सिर्फ इसी activity की income से set-off हो सकता है;
• Section 35AD के Specified business के loss सिर्फ Specified business के profit से set-off होंगे;
• Salaries head से business and profession head का loss set-off नहीं हो सकता है;
• House property के loss सिर्फ Rs.2 lac तक किसी other head की income से set-off हो सकता है.
Q.1 – Set-off क्या होता है?
Ans. - किसी particular year में income tax act में होने वाले profit या income से losses का adjustment करना set-off कहलाता है.
Q.2 - Intra-head adjustment किसे कहते हैं?
Ans. – एक ही head के एक source के loss को उसी head के दूसरे source की income से set-off करना intra- head adjustment होता है.
Example – Loss from Business A को business B की income से set-off कर सकते हैं.
Q.3 – Income tax act में same head में set-off कैसे होता है?
Ans. – किसी assessment year में capital gain head के अलावा किसी Head के एक source में हुए loss को same head के दूसरे source की income से set-off कर सकते हैं.
Q.4 – Section 70 में कौन से तरह के set-off के बारे में बताया गया है?
Ans. - Section 70 में Intra-head set-off के बारे में बताया गया है.
Q.5 – Capital gain head में intra- head set-off allowed है के नहीं?
Ans. – Short term capital loss को किसी भी capital gain से set-off कर सकते हैं चाहे long term capital gain हो या short term capital gain, लेकिंन long term loss को सिर्फ long term capital gain से set-off किया जा सकता है.
Q.6 – क्या exempted source के loss को दूसरे head की income से set-off कर सकते है?
Ans. - नहीं, जैसे agricultural loss को दूसरे head की income से set-off नहीं कर सकते हैं.
Q.7 – Intra-head adjustment में कौन से restriction को ध्यान देना होगा?
Ans. - जब Intra-head adjustment होता है तो following restriction पर ध्यान देना होता है:-
• Speculative business का loss सिर्फ speculative business की income से हो set-off हो सकता है;
• Long term capital loss को सिर्फ long term capital gain से set-off कर सकते हैं;
• Lottery, gambling , betting का loss किसी भी income से set-off नहीं होगा यह loss lottery gambling betting की income से भी set-off नहीं सकता;
• Lottery winning, crossword puzzle, race की income से loss set-off नहीं होगा;
• Owning and maintaining race horse के business का loss सिर्फ इसी activity की income से set-off हो सकता है;
• Section 35AD के Specified business के loss सिर्फ Specified business के profit से set-off होंगे.
Expert Insights on GST and Income Tax in Videos:
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1:- Introduction : In today's complex financial landscape, understanding the intricacies of taxation is crucial for individuals and businesses alike. Goods and Services Tax (GST) and Income Tax are two significant components of the taxation system that impact various aspects of our lives. Staying updated with the latest developments, rules, and regulations in these areas can be challenging, but fortunately, technology has made it easier than ever before.
In this blog post, we will explore the topic of expert insights on GST and Income Tax, and how you can leverage the Law Legends mobile app to enhance your knowledge in these areas. Whether you are a taxpayer, a finance professional, or simply someone interested in learning more about taxation, this article will provide you with valuable information and resources to expand your understanding.
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What is GST? GST, or Goods and Services Tax, is a comprehensive indirect tax levied on the supply of goods and services in India. It is designed to replace multiple cascading taxes and create a unified tax structure. GST was introduced on July 1, 2017, with the aim of simplifying the taxation process and promoting ease of doing business.
How does GST work? Under the GST regime, taxes are levied at each stage of the supply chain, from the manufacturer to the consumer. The tax is collected on the value-added at each stage, allowing for the seamless flow of credits and reducing the overall tax burden on end consumers.
GST rates and slabs GST is categorized into different tax slabs based on the nature of goods and services. Currently, GST has four main tax slabs: 5%, 12%, 18%, and 28%. Certain goods and services are exempt from GST, while others may attract a higher rate or fall under a special category.
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