Q.1 - यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - इस section को समझने के लिए और दूसरे कौन से sections या rules को refer करना होगा?
Ans. - इस section को समझने के लिए CGST Rules, 2017 के Rule 161 को refer कर सकते हैं.
Q.3 - Taxable person कौन है?
Ans. - CGST Act, 2017 के section 2(107) के according taxable person में registered person और person liable to be registered को include किया जाएगा.
Q.4 - इस section के चलते demand के reduction या enhancement का order कैसे issue किया जाता है?
Ans. - Demand के reduction या enhancement का order Form GST DRC-25 में issue किया जाएगा.
Q.5 - Notice of demand का मतलब क्या है?
Ans. - इस act के under tax, penalty, interest या कोई other amount को recover करने के respect में taxable person या other person को due amount को pay करने के लिए notice of demand issue किया जाता है.
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Q.6 - कौन Notice of demand issue कर सकता है?
Ans. Commissioner Notice of demand issue करेंगे.
Q.7 - Commissioner किस case में fresh notice of demand issue करेगा?
Ans. जब demand का amount enhance हो जाता है तब commissioner fresh notice of demand issue करेगा.
Q.8 - किस case में fresh, notice of demand issue नहीं किया जाता है?
Ans. - Demand का amount जब reduce हो जाता है तब fresh notice of demand issue नहीं किया जाता है.
Q.9 - अगर demand का amount reduce हो जाता है तो उस case में क्या होता है?
Ans. - Commissioner Form GST DRC-25 में किसी भी
Demand को कम करने के लिए taxable person और appropriate authority को order issue करेगा जिसके pass recovery की proceeding pending है. और appeal/revision के disposal से पहले ही शुरू की गई recovery की proceedings को उस stage से कम की गई amount के respect में जारी रखा जा सकता है जिस stage में ऐसी proceedings ऐसे disposal से ठीक पहले हुई थी.
Q.10 - अगर demand का amount enhance हो जाता है तो उस case में क्या होता है?
Ans. - Commissioner किसी भी demand को enhance के लिए Form GST DRC-25 में order pass करेंगे और appeal/revision के disposal से पहले जो recovery की proceeding चल रही थी उस stage से continue किया जाएगा जिस पर stage पर disposal से ठीक पहले proceedings रुक गई.[/expand]
Q.1- यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - इस section को समझने के लिए और दूसरे कौन से sections या rules को refer करना होगा?
Ans. - इस section को समझने के लिए section 122(1A) और CGST Rules, 2017 के Rule 158 और 160 को refer कर सकते हैं.
Q.3 - Provisional Attachment क्या होता है?
Ans. - किसी Act के under किसी person पर कोई case चल रहा हो और उस case की pendency के दोरान government अपने revenue को secure करने के लिए उस person की property को provisionally attach कर सकती है. ऐसा करने पर वह person उस property को किसी को transfer नहीं कर सकता है अगर वह transfer कर भी देता है तो transfer void माना जाएगा. Government चाहे तो bank account को भी provisionally attach कर सकती है और वह person उस account का fund transfer नहीं कर सकता है.
Q.4 - इस section के under कौन सी proceedings पर provisional attachment किया जा सकता है?
Ans. - इस Act के Chapter XII (Assessment), Chapter XIV (Inspection, Search, Seizure & Arrest) या Chapter XV (Demand and Recovery) के under proceedings शुरू होने के बाद provisional attachment किया जा सकता है.
Q.5 - किस को provisional attachment किया जा सकता है?
Ans. - Taxable person या any other person की कोई भी property या bank account को provisional attachment किया जा सकता है.
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Q.6 - कौन provisional attachment कर सकता है?
Ans. - Commissioner को provisional attachment करने का power है.
Q.7 - कब commissioner provisional attachment कर सकता है?
Ans. - जब commissioner को जरुरी लगता है की government के revenue को protect करने के लिए property का provisional attachment करना चाहिए, तो वह writing में Form GST DRC – 22 के order pass कर सकता है.
Q.8 – कौन से person की property को provisional attachment किया जा सकता है?
Ans. - Taxable person या कोई person जिसे section 122 के sub section (1A) में specify किया गया हो उस person की property और bank account को provisional attachment किया जा सकता है.
Q.9 - Taxable person कौन है?
Ans. - CGST Act, 2017 के section 2(107) के according taxable person में registered person और person liable to be registered को include किया जाएगा.
Q.10 - कितने time period के लिए provisional attachment किया जा सकता है?
Ans. - Provisional attachment के order से 1 साल तक के लये provisional attachment effect में रहता है.
Q.11 - Provisional attachment का order file करने के लिए act में कौन सा form prescribe किया गया है?
Ans. - Form GST DRC-22 में Commissioner provisional attachment का order pass करेगा जिस में property की detail भी जाएगी.
Q.12 - कोई person जिस की property Provisional attachment की है क्या वह objection file कर सकता है?
Ans. - Form GST DRC-22A में जिस person की property Provisional attachment की है वह objection file कर सकता है.
Q.13 - कौन से form में commissioner provisionally attachment property को release करता है?
Ans. - Form GST DRC-23 में commissioner provisionally attachment property को release करने का order pass करेगा.
Q.14 - Liquidation के case में commissioner किस form में liquidator को recovery के लिए notification देगा?
Ans. - Commissioner Liquidator को tax, interest, penalty या कोई और due amount को recovery करने के लिए Form GST DRC – 24 में notify करेंगे.[/expand]
Q.1 - यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - Taxable Person मतलब क्या होता है?
Ans. - CGST Act, 2017 के section 2(107) के according taxable person में registered person और person liable to be registered को include किया जाएगा.
Q.3 - किस amount को section में include किया गया है?
Ans. - Section 81 इस act के under किसी भी person के tax, interest या penalty के due amount को include करता है.
Q.4 - Charge कैसे create किया जाएगा?
Ans. - Taxable person या किसी भी person द्वारा Government को due हुए tax, interest या penalty के amount को recover करने के लिए उस person की property पर first charge create किया जाएगा, मतलब IBC में recovery करते time सबसे पहले government के dues को clear किया जाएगा.
Q.5 - यह section किस पर applicable है?
Ans. - Taxable person और हर वो person जिस पर government को pay किए जाने वाले tax, interest या penalty के amount के dues हैं उन पर यह section applicable होगा.
Q.1 - यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - इस section के under charge किस तरह से create किया जा रहा है?
Ans. - Sale, mortgage, exchange या transfer के किसी भी mode पर create किए गए charge को इस section में include किया जाएगा.
Q.3 - क्या person का intention importance रखता है?
Ans. - यह section उस person की बात करता है जिस पर कोई amount due है और वो उस liability से free होने के लिए और government के revenue को defraud करने के उद्देश्य से खुद से जुड़ी properties या उनके किसी part पर charge create कर देता है, तो मतलब यह हुआ की यहाँ intention होना सबसे ज़रूरी है.
Q.4 - इस section के under charge को कब void declare कर दिया जाएगा?
Ans. - इस section के अनुसार यदि एक person जिस पर कोई amount due है और वो उससे बचने के लिए और government के revenue को defraud करने के उद्देश्य से किसी दूसरे person को अपनी properties या उसके किसी part पर sale, mortgage, exchange या transfer के किसी भी तरीके से charge create कर देता है तो उस case में उस tax या due amount के payment के लिए उस charge को void माना जाएगा और उस property से due amount की recovery की जाएगी.
Q.5 - क्या ऐसे कोई exceptional cases हैं जब charge को void नहीं माना जाएगा?
Ans. - Due amount के चलते भी किसी property पर create किए गए charge को void नहीं मानेंगे यदि उस person ने वो transfer good faith में या अनजाने में किया था जब उसे proceedings के बारे में पता नहीं था और ना ही उसे उस relation में कोई notice receive हुआ था साथ ही उसने उस transfer के लिए adequate consideration pay कर दी थी, या फिर जब उस person ने proper officer से permission लेकर ही ऐसा किया था.
Q.1 - यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - इस section को समझने के लिए और दूसरे कौन से sections या rules को refer करना होगा?
Ans. - इस section को समझने के लिए CGST Act, 2017 के section 50, 88 और CGST Rules, 2017 के Rule 158 और 160 को refer कर सकते हैं.
Q.3 - Taxable Person मतलब क्या होता है?
Ans. - CGST Act, 2017 के section 2(107) के according taxable person में registered person और person liable to be registered को include किया जाएगा.
Q.4 - इस section के अनुसार taxable person द्वारा application file करने के लिए किसको authority बताया गया है?
Ans. - इस act के under किए जाने वाले payment का time extend करवाने के लिए या फिर instalment में payment करने के लिए taxable person को Commissioner को application file करनी होगी.
Q.5 - इस section के under taxable person Commissioner को application कौन से कारणों से file कर रहा है?
Ans. - इस act के under self-assessed return की liability के amount के अलावा किसी भी amount के payment के period को extend करवाने के लिए या फिर instalments में payment करने के लिए taxable person Commissioner को reasons के साथ written में application file कर सकता है.
Q.6 - किस प्रकार की liability को इस section में cover नहीं किया गया है?
Ans. - इस section के under taxable person द्वारा self-assessed return से arise होने वाली liability को exclude किया गया है.
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Q.7 - इस section के अनुसार due amount मतलब क्या होगा?
Ans. - Section 80 में application file करने के लिए self-assessed return से arise होने वाली liability के अलावा act के under due होने वाले सभी amounts को include किया जाएगा जैसे की tax, penalty, interest, fees, etc.
Q.8 - Instalments की limit क्या होगी?
Ans. - इस act के under due हुए amount के लिए Commissioner taxable person को interest के साथ maximum 24 monthly instalments में payment करने के लिए allow कर सकता है.
Q.9 - Commissioner के order की condition क्या होगी?
Ans. - Commissioner Payment करने के लिए time extend कर सकता है या instalments में payment allow कर सकता है पर इसके साथ taxable person को compulsorily interest भी pay करना होगा.
Q.10 - Section किस प्रकार के default की बात करता है और इसके consequences क्या होंगे?
Ans. - Section के अनुसार यदि taxable person due date पर instalment का payment नहीं कर पाता है तो case में पूरा outstanding amount उसी दिन due हो जाएगा और उसका payment ना होने पर बिना notice दिए ही taxable person से उसकी recovery की जा सकती है.
Q.11 - क्या कभी Section 80 में दी गई permission cancel हो सकती है?
Ans. - हाँ, Section 80 में payment के extension या instalment में pay करने के लिए दी गई permission cancel हो जाएगी यदि taxable person due date पर instalment का payment नहीं कर पाता है.
Q.12 - Due date पर instalment का payment न कर पाने पर taxable person को Condonation of delay दिया जाएगा क्या?
Ans. - नहीं, जैसे ही due date पर taxable person instalment का payment करने में fail हो जाता है वैसे ही उसकी permit cancel कर दी जाएगी और किसी भी प्रकार का Condonation of delay दिए बगैर उस पर liability arise हो जाएगी.
Q.13 - इस section के under Commissioner को application file करने के लिए taxable person को क्या करना होगा?
Ans. - इस act के under due हुए amount के payment का extension लेने के लिए या फिर instalments में payment करने की permission लेने के लिए taxable person को Section 80 के under Form GST DRC-20 electronically file करना होगा.
Q.14 - Application receive करने के बाद Commissioner क्या करेगा?
Ans. - Application receive करने के बाद Commissioner उस taxable person की financial ability check करने के लिए Jurisdictional Officer से report बुलवाएगा, और Taxable Person की request और Jurisdictional Officer की report को ध्यान में रखते हुए Commissioner satisfy होने पर Form GST DRC-21 में order pass कर सकता है.
Q.15 - किस case में taxable person द्वारा file की गई application को Commissioner Reject कर सकता है?
Ans. - Commissioner चाहे तो Section 80 के under taxable person द्वारा file की गई application को reject कर सकता है:
a) यदि उस taxable person ने इस act के IGST Act, 2017 या UTGST Act, 2017 या किसी भी SGST Act, 2017 के under पहले ही किसी due amount के payment में default कर दिया है.
b) Preceding Financial Year में IGST Act, 2017 या UTGST Act, 2017 या किसी भी SGST Act, 2017 के under instalment में payment करने के लिए उसकी application reject की जा चुकी है.
c) या फिर जिस amount के लिए instalment facility avail की जा रही है उसकी value Rs.25,000/- से कम है.
Q.16 - यदि Section 80 के under application file करने वाला applicant company है तो उस case में क्या होगा?
Ans. - यदि applicant एक company है और वो liquidation में है तो उस case में Commissioner को इस act के under tax, interest, penalty या किसी भी तरह के due amount की recovery के लिए Form GST DRC-24 में company के liquidator को बताना होगा.[/expand]
Q.1 - यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 – Mr. A (Defaulter) का कुछ amount government को due था, लेकिन उसका payment नहीं किया गया ऐसे case में proper officer recovery के लिए कौन से actions सकता है?
Ans. - ऐसे case में proper officer recovery के लिए:
a) Defaulter के Due Amount से Deduction
अगर Mr. A का Government की ओर से कोई refund आना है तो स्वयं proper officer या other specified officer, जितनी amount due है Government को उतनी amount refund की amount से deduct कर सकता हैं. यह deduction officer Form GST DRC-09 में specify करेगा या,
b) Defaulter के Goods को Detain और Sale करके
अगर proper officer या अन्य specified officer के control में Mr. A के goods है, तो उन् goods को detain करके sale कर सकते हैं जिसकी sale proceed से जितनी amount government को payable थी recover कर ली जाएगी या,
c) ऐसे Person से Recovery करना Who Owes Money To Defaulter
ऐसे person से recovery की जाएगी:
d) जिसकी Mr. A पर कोई देनदारी हो या होने वाली हो या
e) जो Mr. A के लिए या उनके behalf में कोई money hold कर रहा हो.
Movable या Immovable Property को Detain करके Recovery: Proper officer, Mr. A की movable या immovable property को distrain करके detain कर सकता है, जब तक amount due recover न हो. लेकिन अगर distrain के 30 days के बाद भी कोई amount due रहती है तो proper officer property को sale करके amount recover कर सकता है.
District Collector (DC) के Through Recovery
Proper officer Certificate prepare करके उस district के collector को send करेगा जहाँ Mr. A:
a) कोई property own करता हो या
b) रहता हो या
c) Business carry करता हो.
Certificate receive होने के बाद DC certificate में specified amount को ऐसे recover करेंगे जैसे की कोई land revenue का arrear हो.
Magistrate\Court के Through Recovery
यह provision Code of Criminal Procedure को over ride करता है. Proper officer एक application Form GST DRC-19 में appropriate Magistrate को file करेगा.Magistrate इस amount को ऐसे recover करेगा जैसे उसके द्वारा imposed किसी fine की recovery है.
Q.3 - इस section को समझने के लिए और दूसरे कौन से sections या rules को refer करना होगा?
Ans. - इस section को समझने के लिए आप CGST Rules 2017 के Rules 143 से 160 तक और Goods and services Tax Settlement of funds Rules, 2017 के Rules 6 और 8 को refer कर सकते हैं.
Q.4 - क्या authorities एक से ज्यादा method opt कर सकती है for recovery proceedings?
Ans. - हाँ, proper officer एक से ज्यादा method opt कर सकते है.
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Q.5 - क्या SGST/UTGST officers CGST Act के या dues को collect कर सकते हैं?
Ans. - हाँ, SGST/UTGST officers defaulter से SGST/UTGST के arrears के साथ साथ CGST Act के dues भी recover कर सकते हैं और central government को पास कर सकते हैं.
Q.6 - क्या CGST officers SGST/UTGST Act के या dues को collect कर सकते हैं?
Ans. - हाँ, CGST officers defaulter से CGST के arrears के साथ साथ SGST/UTGST Act के dues भी recover कर सकते हैं और concerned State government/ union territory को पास कर सकते हैं.
Q.7 - Tax recovery के दौरान अगर proper officer 2 Crore recover करते है और 2 Crores of CGST और 3 Crore of SGST/UTGST due है. ऐसे में recovered amount कैसे allocate होगी?
Ans. - ऐसे case में 2 crore की recovered amount को Centre and State/Union Territory के बीच 2:3 के ratio में allocate करेंगे. [/expand]
Q.1 - यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - क्या इस act के under दिए गए किसी भी order के payment के लिए कोई limit दी गई है?
Ans. - हाँ, tax की demand का payment order की service date से 3 महीने के अन्दर pay करना रहेगा.
Q.3 - इस section के under tax की demand को बताई गई time limit के अन्दर pay नहीं किया तो क्या होगा?
Ans. - अगर 3 महीने के अन्दर tax की demand pay नहीं की तो proper officer recovery की proceedings को शुरू कर देगा.
Q.4 - क्या proper officer taxable person से tax का payment 3 महीने से कम समय के अन्दर demand कर सकती है?
Ans. - हाँ, Government के revenue के interest में अगर proper officer को लगता है तो proper officer written में reasons को record करने के बाद taxable person को 3 महीने से कम समय के अन्दर tax का payment करने का order कर सकता हैं.
Q.1 - यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - इस section को समझने के लिए और दूसरे कौन से sections या rules को refer करना होगा?
Ans. - इस section को समझने के लिए CGST Act 2017 के section 50, 54, 33 और CGST Rules, 2017 के Rule 142 को refer कर सकते हैं.
Q.3 - क्या यह ज़रूरी है की किसी person द्वारा इस Act के under collected tax को Central Government को pay किया जाये?
Ans. - हाँ, यह ज़रूरी है की अगर किसी person द्वारा इस act के under tax के नाम पर collected amount को Central Government को pay करे irrespective of the fact की जिस supplies के against amount collect की गयी है वो taxable है या नहीं.
Q.4 - ऐसे cases में proper officer क्या action ले सकता है?
Ans. - Proper officer notice के साथ summary in Form GST DRC-01 Serve करेगा जिसमे उस person से जिसने amount collect की as tax, enquire किया जाएगा की:
a) क्यों वो amount Government को pay नहीं किया गया?
b) क्यों notice में specified amount के equivalent penalty उस पर impose ना की जाए?
Q.5 - Notice के against उस person के पास क्या rights हैं?
Ans. - वो person Form GST DRC-06 में उस notice के against representation दे सकता है. Opportunity of being heard के लिए proper officer को writing में request कर सकता है.
Q.6 - Representation के बाद proper officer कितने time period में order issue करेगा?
Ans. - Representation के बाद proper officer जितनी amount उस person की due है वो determine करेगा और notice issue करने के 1 साल के अन्दर order pass कर देगा. अगर court या Appellate Tribunal के order पर service of notice पर stay लग जाता है तो इससे उस time period से exclude करेंगे.
Q.7 - Order pass करने के बाद proper officer कौन सा Form upload करते हैं?
Ans. - Proper officer order pass करने के बाद उसकी summary electronically Form GST DRC-07 में upload करते है, इसमें उस person की payable tax, interest और penalty की amount specified रहती है.
Q.8 - Delayed payment of amount पर कितने rate से interest charge होगा?
Ans. - 18% rate of interest charge होगा.
Q.9 - Tax liability को collect करने के बाद surplus amount का क्या treatment होगा?
Ans. - Tax liability के adjustment के बाद surplus amount को:
a) Consumer Welfare Fund में credit कर दिया जाएगा; या
b) उस person को refund कर दिया जाएगा जिसने pay किया था.
Q.10 - Refund के लिए क्या procedure follow करना होगा?
Ans. - Refund के लिए section 54 of CGST Act की conditions और procedure को follow करना होगा.
Q.1 - यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - क्या किसी notice या order पर लगाए गए stay के period को section 73/74 के period से exclude करेंगे?
Ans. - हाँ, अगर court या tribunal के order पर किसी order के issuance या service of notice पर stay लगाया है, तो इस period को section 73/74 के order issuance period i.e. 3/5 years से exclude किया जाएगा.
Q.3 - अगर fraud या कोई wilful-misstatement या suppression of facts होता है मगर establish नहीं हो पाता, ऐसे में कोई notice 5 years के बाद भी valid होगा?
Ans. - नहीं अगर fraud या कोई wilful-misstatement या suppression of facts का allegation establish नहीं होता तो section 74 में issued notice section 73 का माना जाएगा और 3 years की time limit apply होगी for date of issue of order.
Q.4 - Appellate Authority या Appellate Tribunal या Court के direction में order issue करने की क्या time limit है?
Ans. - ऐसे orders directions की date of communication के 2 years के अन्दर issue कर सकते हैं.
Q.5 - किसी person को opportunity of personal hearing कब दी जाती है?
Ans. - अगर कोई person जिस पर tax chargeable है या जिसके against कोई adverse decision लिया गया है, वो person writing में proper officer से personal hearing के लिए request कर सकता है.
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Q.6 - क्या personal hearing adjourn की जा सकती है?
Ans. - हाँ अगर proper officer satisfied है की sufficient cause है for adjournment then writing में reasons record करके adjourn की जा सकती है.
Q.7 - कितनी बार personal hearing adjourn की जा सकती है?
Ans. - Maximum 3 बार hearing adjourn की जा सकती है.
Q.8 - क्या demanded amount notice में specified amount से ज़्यादा हो सकती है?
Ans. - नहीं order में demanded tax, interest और penalty की amount notice में specified amount से ज्यादा नहीं हो सकती.
Q.9 - अगर Appellate Authority या Appellate Tribunal या court, tax की amount modify कर दे तो interest और penalty की amount पर क्या changes आयेंगे?
Ans. - Modified tax amount के base पर interest और penalty भी proper officer द्वारा correspondingly modify की जाएगी.
Q.10 - क्या notice में specified grounds के अलावा proper officer नए grounds पर demand raise कर सकता है?
Ans. - नहीं सिर्फ notice में mentioned grounds पर ही demand raise की जा सकती है.
Q.11 - क्या proper officer को अपने decision के relevant facts और basis order में mention करना ज़रुरी है?
Ans. - हाँ, proper officer को speaking order पास करना ज़रुरी है. स्पीकिंग order मतलब वो order जिसमें facts , reasons, findings और फाइनल order पास करने का basis mention हो.
Q.12 - क्या interest हर case में apply होगा, even if कुछ भी specifically mentioned न हो?
Ans. - हाँ, अगर tax payable है तो हर case में interest applicable होगा even if specifically mentioned न हो.
Q.13 - अगर adjudication proceedings में कोई order issue नहीं हुआ तो क्या होगा?
Ans. - अगर adjudication proceedings में section 73 के अंडर 3 years में या section 74 में 5 years के अन्दर अगर order issue नहीं हुआ तो ऐसा माना जाएगा की adjudication proceedings conclude हो गयी है.
Q.14 - क्या section 73/74 मैं impose penalty होगी तो क्या other section की penalty भी apply होगी?
Ans. - अगर Section 73/74 में किसी omission या act पर penalty impose हो चुकी है then same omission पर इस act के दुसरे provisions पर penalty impose नहीं होगी.[/expand]
Q.1 - यह section कब applicable हुआ?
Ans. - यह section 1st July, 2017 से applicable हुआ है.
Q.2 - इस section को समझने के लिए और दूसरे कौन से sections या rules को refer करना होगा?
Ans. - इस section को समझने के लिए Section 2(91), 73, 50, 122,125,129, 130 और 132 और CGST Rules, 2017 के Rule 53, 96B, 121 और 152 को refer कर सकते हैं.
Q.3 - Proper Officer मतलब क्या होता है?
Ans. - CGST Act, 2017 के Section 2(91) के according Proper Officer मतलब Commissioner या Central Tax का वो officer जिसे Board में Commissioner द्वारा Proper Officer की duties perform करने का function assign किया गया है.
Q.4 - Show cause notice मतलब क्या होता है?
Ans. - Act के under taxable person द्वारा कोई भी चूक होने पर officer उसे उसकी गल्ती बताते हुए notice issue करता है और explanation मांगता है कि ऐसा क्यों हुआ,
और इसके सम्बन्ध में act के under उसपर penalty क्यों ना लगाई जाए या उसके खिलाफ department कोई भी proceedings क्यों ना करे.
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Q.5 - Section 74 के under taxable person का intention to fraud मायने रखता है क्या?
Ans. - Section 74 के provision तब ही apply होते हैं जब taxable person fraud से या department को नुकसान पहुंचाने के intention से tax evade करता है.
Q.6 - Section 74 के under notice या order issue करने की power किसको है?
Ans. - Section 74 के under show cause notice या order issue करने की power सिर्फ Proper Officer को दी गई है.
Q.7 - Proper Officer इस section में कब notice issue कर सकता है?
Ans. - Proper Officer Section 74(1) के under statement के साथ Form GST DRC-01 में electronically notice issue करेगा जब उसको लगता है की उस person ने:
a) Tax pay नहीं किया है, या
b) Tax कम pay किया है, या
c) Erroneous tax refund ले ली है, या
d) Input tax credit wrongly avail करी है, या फिर
e) Input tax credit का गलत utilization किया है
और Section 74(1) के under notice तब ही दिया जाएगा जब taxable person ने ऐसा कुछ fraud, wilful misstatement या suppression of facts के intention से किया हो.
Q.8- इस section के under show cause notice issue करने की time limit क्या होगी?
Ans. - Proper Officer को order issue करने की 5 साल की limit से कम से कम 6 महीने पहले notice issue करना होगा, और order issue करने की limit कुछ इस प्रकार है:
a) जिस financial year में tax not paid, short paid or input tax credit wrongly availed or utilized किया गया था उस year के annual return furnish करने की last date से 5 साल में order pass करना होगा, और
b) Erroneous refund के case में refund की date से 5 साल में order pass हो जाना चाहिए.
Q.9 - Notice issue होने से पहले भी payment किया जा सकता है क्या?
Ans. - हाँ, taxable person notice issue होने से पहले भी खुद ही ascertain करके या proper officer से ascertain करवा कर Section 50 के under interest के साथ tax का amount और उस ascertain किए गए tax के amount पर 15% की penalty pay कर सकता है,
और payment करने के बाद उसकी information Form GST DRC-03 में writing में proper officer को दे देगा.
Q.10 - Form GST DRC-03 में information receive करने के बाद proper officer क्या करेगा?
Ans. - Taxable person द्वारा Form GST DRC-03 में payment की information receive करने के बाद Proper Officer Form GST DRC-04 में उस person को payment के acceptance का acknowledgement भेजेगा पर pay किए गए tax के amount के relation में किसी भी प्रकार का notice या statement issue नहीं किया जाएगा.
Q.11 - Section 74(5) में payment करने के बावजूद भी अगर tax के amount का shortfall होता है तो क्या होगा?
Ans. - अगर proper officer को लगता है की section 74(5) में pay किया गया amount actual tax liability के amount से कम है तो उस case में वो उस person को बचे हुए amount की recovery के लिए Section 74(1) के under notice issue करेगा.
Q.12 - Notice के relation में चल रही proceedings का conclusion कब माना जाएगा?
Ans. - अगर notice receive करने से 30 दिन में वो person Section 50 के under interest के amount के साथ tax और total tax की value की 25% penalty pay कर देता है तो उस case में उस पर चल रही proceedings का conclusion माना जाएगा.
Q.13 - Maximum penalty का amount क्या बताया गया है?
Ans. - Section 74 के अनुसार penalty का amount 100% of tax होगा.
Q.14 - यदि taxable person time limit में पूरे tax amount का payment कर दे तो उस case में क्या होगा?
Ans. - यदि taxable person show cause notice receive करने से 30 दिन में Section 50 के under interest के amount के साथ पूरा tax और total tax की value की 25% penalty pay कर देता है तो उस case में उस पर चल रही proceedings का conclusion माना जाएगा.
Q.15 - इस section में order issue करने की time limit क्या बताई है?
Ans. - Section 74 के under order issue करने की limit कुछ इस प्रकार है:
a) जिस financial year में tax not paid, short paid or input tax credit wrongly availed or utilized हुआ है उस year के annual return furnish करने की last date से 5 साल में order pass करना होगा, और
b) Erroneous Refund के case में refund की date से 5 साल में order pass हो जाना चाहिए.
Q.16 - इस section में Condonation of delay का कोई provision है क्या?
Ans. - Section के under time limit में payment ना किए जाने के case में उस person पर penalty लगाईं जाएगी पर इसके बाद उसे Condonation of delay नहीं दिया जाएगा.
Q.17 - Show cause notice किस form में issue किया जाएगा?
Ans. - Proper Officer द्वारा Form GST DRC-01 में taxable person को show-cause notice issue किया जाएगा.
Q.18 - Section 74 के under statement मतलब क्या है?
Ans. - Section 74(1) के under notice के साथ proper officer Form GST DRC-02 में statement issue करेगा जिसमें payable amount की summary के साथ उससे related सारी details बताई जाएगी.
Q.19 - Proceedings in respect of the said notice’ का क्या मतलब है?
Ans. - Section 74 में ‘Proceedings in respect of the said notice मतलब CGST Act, 2017 के Section 132 में बताई गई proceedings को छोड़कर सारी proceedings को यहाँ include किया जाएगा.
Q.20 - Proceedings के conclusion का क्या effect होगा यदि main person के साथ और किसी person को भी liability की recovery के लिए notice issue किया गया है?
Ans. - वो main person जो tax pay करने के लिए liable है यदि Section 74 के under उसके साथ किसी और person को भी liability के लिए notice issue किया जाता है तो उस case में main person के सम्बन्ध में चल रही proceedings के conclude होने पर उन सभी person के लिए भी proceedings का conclude होना माना जाएगा जिनको उस liability के लिए notice दिया गया था.
Q.21 - Suppression मतलब क्या होता है?
Ans. - Suppression मतलब इस act या यहाँ बताए गए rules के under file किए जाने वाले return, statement, report या other documents में जो facts या information taxable person को declare करना चाहिए थी पर वो उन्हें declare नहीं करता है, या फिर proper officer द्वारा मांगी गई information को furnish नहीं करता है.
Q.22 - Adjudication का भी कोई provision इस section पर लगता है क्या?
Ans. - Section 73 के अनुसार यदि taxable person show cause notice issue होने से 30 दिन में interest के साथ tax के due अमाउंट का payment कर देता है तो उस case में सारी proceedings conclude कर दी जाएगी और department में उस case का adjudication नहीं होगा.
Q.23 - Case का adjudication होने पर यदि tax या penalty का amount order में confirm कर दिया जाए तो क्या होगा?
Ans. - Section 74(9) के under Form GST DRC-07 में order की summary receive करने से 30 दिन में taxable person को Section 50 के under interest के amount के साथ tax और उस पर 50% की penalty pay करना होगी तब ही proceedings का conclude होना माना जाएगा, और अब इसके बाद उस person के पास penalty reduce करवाने का कोई option नहीं बचेगा.
Q.24 - Section 74(9) के under order issue करने की time limit क्या होगी?
Ans. - Taxable person द्वारा Form GST DRC-04 में file की गई representation को receive करने के बाद satisfy होने पर proper officer Form GST DRC-05 में order issue करेगा, और order issue करने की limit कुछ इस प्रकार है:
जिस financial year में tax not paid, short paid or input tax credit wrongly availed or utilized किया गया था उस year के annual return furnish करने की last date से 5 साल में order pass करना होगा, और
Erroneous refund के case में refund की date से 5 साल में order pass हो जाना चाहिए.
Q.25 - Proceedings के conclusion का क्या effect होगा यदि main person के साथ और किसी person को भी liability की recovery के लिए notice issue किया गया है?
Ans. - वो main person जो tax pay करने के लिए liable है यदि Section 73 के under उसके साथ किसी और person को भी liability के लिए notice issue किया जाता है तो उस case में main person के relation में चल रही proceedings के conclude होने पर उन सभी person के लिए भी proceedings का conclude होना माना जाएगा जिनको उस liability के लिए notice दिया गया था.[/expand]