Law Legends

Q.1 - Section 44B में कौन से assessee cover होते है?
Ans - यहाँ Non-Resident जो Ships के operations के business में involved है ऐसे सारे assessee cover होंगे.

Q.2 - क्या section 44B Non-resident Individual पर भी applicable होगा?
Ans - जी, हाँ बिलकुल यहा Non Resident Individual को भी cover करेंगे जो aircraft के operation carryout कर रहे है क्योंकि section non resident पर applicable होगा weather Corporate or Non Corporate.

Q.3 - Section 44B में कौन से rate से income declare करना होता है?
Ans - यह Ship business से होने वाली aggregate receipt पर minimum 7.5% से income declare करना होता है.

Q.4 - Aggregate receipt में कौन से specified sum को include किया जाएगा?
Ans - Aggregate receipt में निचे दी गई specified sum को include किया जाएगा:-
• India में किसी भी port पर या port से passenger, livestock, mail या goods की ढुलाई के कारण कोई भी amount paid या payable है;
• Passenger, livestock, mail India के बाहर किसी port पर याport से भेजे गए goods की ढुलाई के कारण India में amount received या deemed to be received हुआ है;
• Demurrage charges या handling charges ऐसे सारे specified amount को include किया जाएगा.

Q.1 - Section 44AE किस assessee पर applicable है?
Ans. - Section 44AE सभी person’s पर applicable है चाहे वो Individual, HUF, firm, company, etc हो.

Q.2 - Section 44AE कौन से business पर applicable है?
Ans.- Section 44AE(1) कोई भी assessee जो plying, hiring या ऐसे goods carriages के leasing के business में engaged है और previous year में 10 या उससे ज्यादा goods carriage own नहीं करता हो, तो एसे business से हो रही income को हम “Profits and gains of business or profession "के head मे taxable करेंगे लेकिन अगर वह 10 से ज्यादा vehicle own करता है तो फिर ये provision apply नहीं होगा और अगर कोई assessee passenger transport मे engaged है तो वहाँ यह provision apply नहीं होगा.

Q.3 - Section 44AE में income कैसे calculate करेंगे?
Ans. - Each goods carriage के case में profit या gain calculate करने के लिए vehicle का type देखेंगे जिसमें Heavy goods vehicles के case में, Rs.1000 per ton of gross vehicle weight or load weight के हिसाब से calculation करेंगे, या जो amount actually earned है और उसे claim किया गया है, दोनों में से जो भी higher है, और यहाँ पर part of the month को भी full month मानेंगे. Other than Heavy goods vehicles के case में, Rs.7500 के हिसाब से amount calculate करेंगे, या जो amount actually earned, claim किया गया है, दोनों मे से जो भी higher है और यहाँ पर part of the month को भी full month मानेंगे।
Q.4 - Heavy goods vehicle मतलब क्या होता है?
Ans. - Heavy goods vehicle मतलब ऐसे vehicles जिनका gross weight 12,000 kgs को exceed करता है।

Q.5 – इस section में कौन सी deduction allowed होगी?

Ans. - Section 44AE(3) के under Section 30 से 38 के provisions के according allowable कोई भी deduction, sub-section (1)के purpose के लिए, पहले से ही full effect में माना जाएगा और further कोई deduction उन sections के under नहीं मिलेगा लेकिन जहाँ assessee एक firm है और partner को salary और interest pay किया जा रहे है उसका deduction allow हो जाएगा यदि वह Act के under बताए गए provisions के अनुसार payment करता है। Section 44AE(4) Business के purpose के लिए use की जाने वाली किसी भी asset की written down value ऐसी मानी जाएगी जैसे कि assessee ने claim किया था और actually में हर relevant assessment years के लिए depreciation के respect में deduction allow किया गया है.

Q.1 - Section 44ADA कौन से type of assessee पर applicable होंगे?
Ans - यदि कोई assesse जो की resident in India है और notified profession 44AA (1) में है और उसकी total gross receipts previous year में Rs.50 lakh से exceed नहीं करती है तो ऐसे assessee पर section apply होंगे.

Q.2 - क्या यह section mandatory है?
Ans - नहीं यह बिलकुल जरूरी नहीं है की ऐसी assessee जो specified business में involved है को section 44ADA में income Declare करना क्योंकि यदि Company in condition को comply करे तो normal provision के अंदर income declare कर सकती है.
• Maintain books of Accounts u/s 44AA;
• Get Audited u/s 44AB;
• Furnish Report to department.
Q.3 - Section 44ADA में gross receipt का कितना portion income मानेंगे?
Ans - Section 44ADA में gross receipt का minimum 50% income declare करना होगा.

Q .4 - क्या LLP भी section 44ADA में presumptive basis पर income show कर सकते है?
Ans - नहीं, Section44ADA में Resident Individuals, Hindu undivided families (HUF), Partnership firms (except LLP) include है और presumptive basis पर income show कर सकते है.

Q.5 Section 44ADA के eligible professional में कौन include है?
Ans. - Section 44ADA के eligible professional में following professional include है जो कुछ इस प्रकार है:-
• Interior decorations;
• Technical consulting;
• Engineering;
• Accounting
• Legal;
• Medical;
• Architecture;
• Other professionals,
जेसे की Movie artists including - producer, editor, actor, director, music director, art director, dance director, cameraman, singer, lyricist, story writer, screenplay या dialogue writer और costume designers Authorised representative मतलब कोई भी person जो किसी और law के under में tribunal या कोई और authority constitute की गई है उस person को represent करता है एवं fees charge करता है अन्य कोई भी notified professionals include है .

Q.1 – Presumptive Taxation Scheme से क्या मतलब है?
Ans. – Section 44 AA of Income tax act 1961 के according, कोई person जो business में engaged है उसको certain circumstance में regular books of account को maintain करना होता है. छोटे taxpayer को इस compliance से relief देने के लिए यह presumptive taxation scheme introduce किया है जिसमे taxpayer अपनी income को एक prescribed rate से declare करता है और books of account maintain करने से relief मिलता है. Presumptive taxation scheme में income tax ने यह scheme बने है:-
• Section 44AD;
• Section 44 ADA;
• Section 44 AE.

Q.2 – Section 44AD में क्या provision है?
Ans. – Section 44 AD के अनुसार, Eligible assessee अगर eligible business में engaged है और assessee ने उस business के total turnover या gross receipt का 8% या इससे ज्यादा profit जो earn कर रहा है उसको PGBP की income मान लिया जाएगा.

Q.3 – Section 44AD में eligible assessee कौन है?
Ans. – Eligible assessee means:-
• Resident Individual;
• Resident Hindu Undivided Family;
• Resident Partnership Firm (LLP को छोड़कर);
• और जिसने sections 10A, 10AA, 10B, 10BA या Chapter VIA के heading ‘C’ Deductions in respect of certain incomes" की किसी भी relevant assessment year में deduction claim नहीं की गई हो तो इन्हें eligible assessee में शामिल करेगे.

Q.4 – Section 44AD में eligible business means क्या है?
Ans. - Eligible business का मतलब कोई भी business लेकिन section 44AE मे mention plying, hiring or leasing goods carriages को छोड़कर, और जहाँ business का total turnover या gross receipts previous year में 2 crore rupees से ज्यादा नहीं है तो वह business eligible business कहलाएगा.

Q.5 - Section 44AD में calculated profit से section 30 से 38 का deduction मिलेगा क्या?
Ans. – नहीं, section 44AD में calculated profit को ऐसा माना जाएगा की उसमे से section 30 से 38 का deduction करने के बाद calculate हुआ है.

Q.6 - Section 44AD में depreciation का क्या treatment किया जाएगा?
Ans. - किसी भी eligible business की asset की written down value, calculate करते समय यह माना जाएगा की assessee ने depreciation relevant previous year में claim किया हो और उसे वह deduction allow किया गया हो मतलब depreciation की deduction नहीं मिलेगी लेकिन जब assets की WDV निकलेगे तब assets की cost में से उतने years का deemed depreciation less कर दिया जाएगा.

Q.7 – क्या Section 44AD एक बार opt कर लिया तो change नहीं कर सकते?
Ans. – नहीं, कोई भी person जो Section 44AD के benefits claim करने के लिए eligible है वो कभी भी Presumptive Taxation scheme से opt out कर सकता है मतलब section से बाहर हो सकता है, लेकिन latest amended laws के according अगर किसी person ने Presumptive Taxation of Section 44AD, से opt out किया है तो फिर वह person आने वाले next 5 सालों तक दुबारा से Presumptive Taxation का benefit avail नहीं कर पाएगा. अब हम कुछ example से इस section को समझेंगे की कब section opt होगा और कब opt out होगा :-

Case 1: इस example में person पिछले 5 year से 44AD opt कर रहा है but AY 2023-24 में जिसका turnover Rs.90 lakh का है मतलब 44AD के लिए eligible तो है but उसने profit को turnover का सिर्फ 5% show किया है इसलिए उसको 44AD से opt out करना होगा क्यों की section कम से कम 8% profit की बात करता है नही तो audit करवाना होगा, साथ ही वह आने वाले 5 year के लिए 44AD के लिए ineligible हो जाएगा, क्यों की assesse ने profit 44AD की limit से कम show करा है means assess audit करवा सकते है, लेकिन profit तो section 44AD के according ही show करना होगा यदि वह आगे कभी section 44AD avail करना चाहता हैं .

Case 2: इस example में person पिछले 5 year से 44AD opt कर रहा है but AY 2023-24 me जिसका turnover Rs.2.25 करोड़ है मतलब 44AD के लिए eligible नहीं तो है चाहे जो profit show कर रहा है, 8% या उससे ज्यादा ही क्यों न हो ,इस case में 10% है तो उसे audit करवाना होगा , but यहा ये बात याद रखना होगा की वो next year 44AD के लिए eligible होगा जब turnover Rs.2 cr तक हो यह जैसे यह AY 2023-24 का turnover 1.75 करोड़ है तो वो 44AD फिर से opt कर सकता है.

Case 3: इस example में person पिछले 5 year से 44AD opt कर रहा है but AY 2023-24 me जिसका turnover Rss.2.25 करोड़ का है मतलब 44AD के लिए eligible नहीं तो है चाहे जो profit शो कर रहा है, 8% या उससे ज्यादा ही क्यों न हो ,इस case में 5% show करता है तो उसे audit करवाना होगा , but यहाँ ये बात याद रखना होगा की वो next year 44AD के लिए eligible नहीं होगा क्योंकि AY 2023-24 का profit 8% से कम declare किया था वो 5 year के लिए ineligible होगा चाहे turnover कुछ भी हो profit का भी ध्यान रखना हैं.

Q.8 - Section 44AD opt करके के बाद books of account को maintain करना होगा क्या?
Ans. – नहीं Section 44AD opt करके के बाद books of account को maintain करना होगा.

Q.9 – क्या ऐसे assessee जिसने Section 44AD में income किया है उनको advance tax की liability आती है?
Ans. – हाँ, ऐसे assessee को 15th March या उसके पहले पूरा advance tax देना होता है.

Q.10 – अगर Section 44AD opted assessee 8% से कम income declare करता है तो क्या होगा?
Ans. – अगर Section 44AD opted assessee 8% से कम income declare करता है और उनकी income maximum exemption limit से ज़्यादा है तो उसको books of account maintain और audit कराना होगा.

Q.1 - Section 44AB में किस person से tax audit करवाना पड़ेगा?
Ans. - Section 44AB में Chartered Accountant से tax audit करवाना compulsory है.

Q.2 – Business के case में Section 44AB कब applicable होगा?
Ans. - अगर कोई person business कर रहा है और relevant previous year में business की sales, annual turnover, या gross receipt, Rs.1 cr. से ज़्यादा है तो audit करवाना पड़ेगा. (अगर किसी person ने अपनी income section 44AD के under presumptive income में declare की है और उसका Turnover, sales या gross receipt 2 cr. से exceed नहीं कर रहा है तो एसे case में 44AB apply नहीं होगा). ऐसे business जिसमें Previous year में aggregate cash receipt 5 % से ज़्यादा नहीं है और aggregate cash payment 5 % से ज़्यादा नहीं है तो Previous year 20-21 से, tax audit करवाने के लिए sales, turnover या gross receipt की limit 1 crores से increase हो कर 10 crores हो जाएगी.

Q.3 - Profession के case में Section 44AB कब applicable होगा?
Ans.- Section 44AB(b)के under अगर कोई persons Profession में है और उसके profession की gross receipt relevant previous year में Rs.50/- लाख से ज्यादा है तो ऐसे में उसे tax audit करना होगा. अगर कोई persons notified profession में है और उसकी gross receipts 50 लाख rupees से ज़्यादा नहीं है और assesse profit को section 44ADA के profit rate से कम दिखता हैं (means profit less than 50 % of gross receipt से कम दिखाता है) और साथ ही उसकी income basic exemption limit को exceed करती है तो ऐसे में उसे tax audit करवाना पड़ेगा।

Q.4 – कौन से assessee को compulsory audit करवाना पड़ेगा?
Ans. - Section 44AB(c) के under यदि कोई persons जो business कर रहा है और उससे होने वाले profit या gain को presumptive scheme में Section 44AE या 44BB या 44BBB के under profit या gain माना जा रहा है और उसकी income section में बताई गई deemed income से कम है तो एसे persons को books of accounts audit करवाना होगा. Section 44AE के under जो persons Plying, Hiring या leasing के business में engaged है और उसके पास 10 या उससे कम vehicles है तो Heavy vehicles के लिए Rs.1,000/- per ton का gross vehicle weight या unladen weight per month या part of month लेंगे और other than heavy vehicle के लिए Rs.7,500/- per month या part of month लेंगे या वहAmount जो वाकई में vehicle से earn किया है, दोनों में से जो भी higher है उसको deemed income मानेंगे. Section 44BB के under अगर non-resident mineral oils की prospection, extraction या production के लिए services या facilities provide करता है,including supply of plant and machinery on hire तो एसी services की payment और receipts केaggregate amount का 10% deemed income मानेंगे. Section 44BBB के under अगर foreign company engaged है civil construction में या plant and machinery के erection, testing या commissioning के business में जो central government द्वारा approved किसी भी turnkey power project के लिए तो assesseeद्वारा receive किए गए aggregate amount का 10% को deemed income माना जाएगा

Q.5 - Section 44AB में कितने assessment year तक audit करवाना पड़ेगा?
Ans.- Section 44AB(e)के under अगर कोई भी persons business कर रहा है जिसका turnover upto 2 crore rupees है और उसने section 44AD opt किया है किसी भी पहले के PY में,तो ऐसे case में अगर वो persons declare करता है की पिछले 5 सालों में से किसी भी साल उसका profit 8% या 6% से कम था तो वह उस year से अगले 5 सालों तक 44AD को opt नहीं कर पाएगा और उसे books of accounts maintain करना होगा और audit करना होगा अगर उसकी income basic exemption limit को exceed करती है तो.
Example– अगर किसी persons ने section 44AD PY 2020-21 में opt किया था, और PY 2021-22 में जब profit declare किया तो वो 8% या 6% of turnover से कम declare किया, तो अगले 5 साल तक मतलब PY2022-23 से PY 2026-27 तक वह section 44AD में opt नहीं कर सकता है और PY 2021-22 से PY 2026 -27 तक के period के लिए उसे books of accounts maintain करनी होगी और audit करना होगा

Q.6 - Section 44AB books of account audit नहीं करते है तो Income tax Act, 1961 में कितनी penalty लगती है?
Ans. - Section 271B, के under अगर कोई persons अपने accounts audit करने में fail होता है या audit report furnish करने में fail होता है तो ऐसे में Assessing Officer उस पर penalty लगा देता है. Penalty; या तो 1,50,000 rupees; या Total sales, gross receipt या turnover का 0.5% इनमें से जो भी lower amount है उतनी penalty होगी.

Q.7 - Section 44AB में tax audit report के क्या provision है?
Ans. - Tax audit report Form 3CA, 3CB या 3CE में furnish करना होता है. अगर किसी दूसरे law के under audit करना जरूरी है तो फिर Form 3CA भरेंगे; अगर ऐसा ज़रूरी नहीं है की किसी दूसरे law के under audit हो तो Form 3CB भरेंगे; अगर किसी non-resident या foreign company को Indian government या किसी Indian concern से royalty या fees for technical service मिलती है तो Form 3CE भरेंगे; और Form 3CD भरेंगे जो की एक audit report का हिस्सा बनता है

Q.8 - Section 44AB में turnover का क्या मतलब है?
Ans. - Turnover का मतलब Turnover Act में defined नहीं है इसलिए हम उसे दूसरे interpretations से समझेंगे, generally accepted accounting principles के हिसाब से कुछ typical cases ऐसे है: Turnover में से Discount allowed reduce कर सकते है. अगर कोई cash discount दिया जा रहा है जो cash memo/sales invoice में नहीं mention है तो उसे turnover में से reduce नहीं करेंगे. Turnover discount का nature trade discount जैसा होता है इसलिए उसे turnover में से reduce कर सकते है भले ही इसे अलग-अलग credit notes द्वारा periodical interval पर allow किया गया हो. अगर sales पर commission के nature का rebate होता है तो उसे turnover से reduce नहीं करेंगे. अगर पिछले किसी भी सालों का goods return हो रहा है तो उसका price turnover के figure से reduce कर देंगे ।

Q.9 - Section 44AB में tax audit report revise कर सकते है या नहीं? Tax audit report revise करने के क्या provision है?
Ans. - ICAI के द्वारा issue किए गए Guidance Note के अनुसार audit report जो की section 44AB के under बनाई गई है उसे usually revise नहीं कर सकते है, However, कभी कभी member को tax audit report को revise करने की requirement होती है इस groundपर की general meeting में company के accounts के adoption के बाद account का revision हुआ है law में changes हुए है, eg. Retrospective amendment interpretation में changes हुआ है, e.g. CBDT Circular, Judgments, etc. Thus, एक बार tax audit file करने के बाद, सिर्फ बताए गए grounds पर ही revision किया जा सकता है। Further, CBDT ने notify किया है कि tax report को revise करना है तो Chartered accountant से revised report को duly sign और verify करना होगा और जिस साल की report है उस relevant assessment year के end से पहले revised report को furnish करना होगा, यदि ऐसे persons द्वारा original report furnish करने के बाद payment किया जाता है तो section 40 या 43B के under disallowance के लिए re-calculation करना होगा

Q.1 - Books of account maintain करने की आवश्यकता किन्हें है?
Ans. - Books of account or accounting records maintained करने की आवश्यकता उन लोगो को है जिनकी Income business or profession से Rs.1,20,000/- से ज़्यादा है या business or profession का turnover/sales/gross receipt Rs.10,00,000/- से ज़्यादा है in any of the three years immediately preceding the previous years. Business or profession की income Rs.1,20,000/- से ज्यादा है या turnover Rs.10,00,000/- से ज्यादा है during such previous year कोई भी business या profession जो अपनी income 44AE,44BB,44BBB में deemed limit से कम declare करते है.

Q.2 - Section 44AA के rule 6F में कौन से professionals को notified किया गया है?
Ans. - Section 44AA के rule 6F में निम्न professionals को notified किया गया है:-
• Legal;
• Medical;
• Engineering;
• Architectural;
• Accountancy;
• Technical consultancy;
• Interior decoration;
• Authorize representative;
• Film artist;
• Company secretary.

Q.3 - Rule 6F में कौन सी books of account specified की गई है?
Ans. – Rule 6F में following books of account specified की गई है:-
• Cash book;
• A journal according to mercantile system of accounting;
• A ledger where all entries flow from journal;
• कोई भी ऐसे खर्चे का बिल जो की Rs.50/- से ज्यादा है;
• कोई भी ऐसा बिल जो हमने issue किया है और वो Rs.25/- से ज्यादा है.

Q.1 - Section 44A किस के ऊपर लगता है?
Ans. - Section 44A trade, professional, or similar association के ऊपर applicable होता है.

Q.2 - Section 44A में कितनी deduction मिलती है?
Ans. - इस section में जितने भी amount की deficiency होगी उतनी ही deduction मिलेगी. लेकिन किसी भी case में deduction one-half of the total income से ज्यादा नही ले सकते.

Q.3 - Deficiency किसे कहते है?
Ans. - जितना भी amount during the previous year में मिला है किसी भी trade, professional or similar association को उसके comparison में खर्चा (not capital expenditure) ज्यादा हो जाना उसे ही deficiency कहते है.

Q.1 - Section 43D के provision कौन से institution पर लगेगा?
Ans - Section 43D के provision following institute पर लगेंगे:-
• Public financial institution;
• Schedule bank;
• Co-operative bank other than primary agricultural credit society; या
• A primary co-operative agricultural and rural development bank;
• State financial corporation;
• State industrial investment corporation;
• Deposit लेने वाले non-banking financial company; या
• Systematically important non- deposit लेने वाली non-banking financial company.

Q.2 - Section 43D कौन से nature की income की बात करता है?
Ans - Section 43D, में interest की income उन bad debt और doubtful debt के relation में जो RBI द्वारा issued guideline में prescribe की गई है इन debt के relation में और public company के case में, interest की income उन bad debt और doubtful debt के relation में जो national housing bank द्वारा issued guideline में prescribe की गई है इन debt के relation में section 43D के provision लगेंगे.

Q.3 - Section 43D में income कितनी chargeable to tax होगी?
Ans. - Section 43D, में institution ने previous year में जो interest amount, profit and loss account में credit किया या previous year में जो interest amount actual में receive हुआ है जो भी दोनों में से पहले हो उस interest की income chargeable to tax होगी.

Q.4 - Public company का क्या मतलब है?
Ans. - Public company means company जो companies act 1956 के section 3 में define की गई है, जिसका main business, long term finance provide करना है construction के लिए या residential purpose के लिए India में house purchase करना है और जो registered है National Housing Bank Act के section 30 and 31 में दिय गये housing finance companies direction1989 के अनुसार.

Q.1 - Construction Contract or a Contract for providing services का profits and gains कौन से method से calculate किया जाएगा?
Ans - Construction contract or a contract for providing services का profits and gains percentage of completion method से calculate किया जाएगा.

Q.2 - Services contract का Profits and gains कौन से method से calculate किया जाएगा?
Ans - Services contract का profits and gains इन दो methods से calculate होगा अगर contract 90 दिनों से ज़्यादा का नहीं है तो project completion method से profit and gain compute होगा, पर अगर contract के specific period में indeterminate acts involved हैं तो straight line method से profit and gain compute होगा.

Q.3 - क्या contract revenue में retention money भी include करेंगे?
Ans - Percentage completion method, project completion method या straight line method के लिए, contract revenue में retention money भी include करेंगे.

Q.4 - क्या Interest, dividend या capital gain की income को cost of contract में से reduce किया जाएगा?
Ans - किसी भी तरह की incidental income जो interest, dividend या capital gain के nature से है, उसे contract की cost से reduce ना करते हुए अलग से income बताई जाएगी.

Q.1 - 43CA capital asset पर applicable होगा?
Ans – नहीं, 43CA सिर्फ land or building पर applicable होगा.

Q.2 - कब actual value को full value of consideration माना जाएगा?
Ans – इन following case में actual cost को full value of consideration माना जाएगा:-
• यदि actual cost stamp duty value से ज्यादा है;
• Stamp duty value या actual value का difference 10% तक है.

Q.3 - क्या residential unit के लिए भी stamp duty value और actual cost का difference 10% होगा?
Ans – हाँ, residential unit के लिए भी stamp duty value और actual cost का difference 10% होगा पर यदि residential unit का transfer 12/11/2020 से लेकर 30/06/2021 के बीच transfer हुआ है और ऐसा residential transfer person को first time allot हुआ है तो यह 10% से 20% माना जाएगा.

Q.4 - Stamp duty value कौन से day की consider की जाएगी?
Ans - यदि date of the agreement और date of registration different है तो stamp duty value के लिए date of the agreement को consider किया जाएगा.
Q.5 - Payment का mode prescribed करे?
Ans - Payment का mode कुछ इस प्रकार है:-
• Account payee bank;
• Bank draft;
• Use of electronic clearing system.

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