Q.1 – Carry forward क्या होता है?
Ans. - किसी particular year में अगर profit या income से loss set-off नहीं हो पाता है तो बचे loss को आगे के years में हुए profit और income से set-off करने के लिए अगले साल में ले जाया जाता है जिसे carry forward कहते हैं.
Q.2 – क्या एक head के Carry forward loss को दूसरे head की income से set-off किया जा सकता है?
Ans. – नहीं, carry forward loss का inter-head set-off allowed नहीं है. मतलब सिर्फ intra-head set-off होगा.
Q.3 – Section 78 किस बारे में बात करता है?
Ans. – यह Section बात करता है firm के loss को firm की constitution या succession के change में कैसे carry forward and set-off करेंगे.
Q.4 – Change of constitution and succession से क्या मतलब है?
Ans. - Change of constitution of firm तब माना जाएगा जब partner का retirement या death या addition हुआ है या फिर partnership में profit sharing ratio change हुआ हो; और Succession means सभी old partner बाहर हुए और नए partner introduce हुए हैं.
Q.5 – Firm के change of constitution के case में firm के loss को कैसे set-off and carried forward करेंगे?
Ans. – जहाँ firm के constitution में change हुआ है तो firm पुरे loss को set-off करने के लिए entitled नहीं है सिर्फ part of loss को carry forward किया जा सकता है जिसका calculation इस प्रकार होगा:
Unabsorbed loss multiplied by retiring या deceased partner का share जिसमे से minus करेंगे previous year में partner का share of profit in firm (अगर loss है तो add करेंगे) जो amount remaining है उतना portion unabsorbed loss carry forward नहीं होगा.
Q.6 - Firm के succession के case में firm के loss को कैसे set-off and carried forward करेंगे?
Ans. - Succession of firm के case में:- किसी person का business and profession किसी दूसरे person को सौंप दिया गया है inheritance के अलावा किसी कारण से, तो loss का carry forward and set-off उसे मिलेगा जिसको loss incur हुआ है न की successor को, लेकिन inheritance में मिले business and profession का loss successor set-off कर सकता है.