Law Legends

Law Legends Outline: -
ये circular ये बताता है कि क्या life insurance (जीवन बीमा) के premium के उस हिस्से पर ITC रिवर्स करना जरूरी है, जो taxable value में शामिल नहीं है।
Scenario :
• लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां ऐसे पॉलिसी देती हैं, जिनमें risk cover (जोखिम सुरक्षा) और investment (निवेश) दोनों के component होते हैं।
• CGST के Rule-32(4) के तहत, taxable value निकालने के लिए प्रीमियम से investment वाले हिस्से को घटा दिया जाता है।
• सवाल ये है कि क्या प्रीमियम का वो हिस्सा जो टैक्स नहीं लगने लायक (non-taxable) है (इन्वेस्टमेंट वाला हिस्सा), उसे एक तरह से exempted या non-taxable supply सप्लाई माना जाए और क्या उस पर ITC reverse करना होगा?

Clarification:
• इन्वेस्टमेंट कंपोनेंट वाली पॉलिसी सहित जीवन बीमा, 1938 के Insurance Act के तहत "लाइफ इंश्योरेंस बिजनेस" की परिभाषा में आता है।
• GST के तहत exempted supply में, Nil Rated supply, कुछ खास sections के तहत पूरी तरह से छूट वाली Supply या non-taxable supply शामिल हैं।
• प्रीमियम का वो हिस्सा जो टैक्स नहीं लगने लायक है, वह न तो nil rated है, न ही किसी खास section के तहत छूट वाला है और न ही उसे non-taxable सप्लाई माना जाता है (क्योंकि ये अभी भी लाइफ इंश्योरेंस सर्विस का हिस्सा है)।
• CGST Rule- 42 सिर्फ खास स्थितियों में, जैसे कि Goods/Services का इस्तेमाल आंशिक रूप से Taxable और Exempted supply के लिए करने पर, ITC reverse करने के लिए कहता है। इस मामले में, प्रीमियम का वो हिस्सा जो टैक्स नहीं लगने लायक है, वो exempted supply नहीं है।
Conclusion :
• Life Insurance Premium का वो हिस्सा जो taxable value में शामिल नहीं है, उसे exempt या non-taxable supply नहीं माना जाता है।
• इसलिए, CGST Rules 42 या 43, या CGST Act के section- 17 के तहत इस हिस्से पर ITC reverse करने की कोई जरूरत नहीं है।

Law Legends Outline: -
ये circular यह बताता है कि क्या भारतीय कंपनी अपने विदेशी होल्डिंग कंपनी के जरिए कर्मचारियों को दिए गए ESOP/ESPP/RSU पर Goods and Services Tax (GST) लगेगा।
Scenario :
• कोई भारतीय कंपनी अपने कर्मचारियों को उनकी Salary package के तहत ESOP/ESPP/RSU देती है।
• विदेशी होल्डिंग कंपनी सीधे कर्मचारियों को securities/shares देती है।
• भारतीय सब्सिडियरी कंपनी होल्डिंग कंपनी को इन securities/shares की cost का भुगतान करती है।
Clarification:
• ESOP/ESPP/RSU को transfer करना और उन्हें खरीदना/बेचना GST Act के तहत goods या services की supply नहीं मानी जाती है।
• सब्सिडियरी कंपनी द्वारा होल्डिंग कंपनी को किया गया payment securities के लिए है, services के लिए नहीं, इसलिए इस पर GST नहीं लगता है।
• चूंकि ESOP/ESPP/RSU कर्मचारी के वेतन का हिस्सा है, इस transaction पर GST नहीं लगता है।
Exception (When GST will be applicable) :
• अगर विदेशी होल्डिंग कंपनी ESOP/ESPP/RSU जारी करने के लिए कोई extra fees , mark-up या commission लेती है, तो इस fees को सर्विस माना जाएगा और उस पर GST लगेगा।
• ऐसी स्थिति में, भारतीय सब्सिडियरी कंपनी को RCM के तहत इस अतिरिक्त राशि पर GST का भुगतान करना होगा।

Law Legends Outline: -
यह circular ये बताता है कि कैसे supplier ये verify कर सकते हैं कि recipient ने tax credit notes के जरिए दी गई छूट (discount) पर ITC रिवर्स कर दिया है.
Issue Involved :
• CGST Act के तहत कुछ discount को Goods या services के Taxable value में से कम किया जा सकता है.
• ऐसे discount को कम करने की एक शर्त ये है कि recipient उस discount पर लगे ITC को reverse करे.
• अभी common GST portal पर कोई system नहीं है जिससे supplier या tax officer ये देख सकें कि recipient ने ITC रिवर्स किया है या नहीं।
नया तरीका (New Mechanism):
जब तक verify करने का system नहीं आता है, तब तक supplier दो तरीकों से recipient से सबूत (evidence) ले सकते हैं:

Law Legends Outline: -
यह circular यह clarify करता है कि RCM के तहत unregistered person से ली गई supply पर ITC claim करने की time limit क्या है?
Issue :
• Registered person जब विदेश में किसी unregistered party से services लेता है और RCM के तहत GST का payment करता है, तो invoice जारी करने में देरी हो सकती है.
• ऐसे late invoice issue करने पर ITC claim करने लिए Financial year को लेकर confusion था.
Clarification :
• CGST Act के section 16(4) के तहत ITC claim करने के लिए relevant financial year वह होता है, जिस year में recipient ने Section- 31(3)(f) के अंतर्गत invoice जारी करता है, न कि service receive करने वाला year.

Law Legends Outline: -
इस circular में यह बताया गया है कि जब एक registered person India में किसी related person से foreign से services import करता है तो India में जो service recipient है, उसे reverse charge mechanism (self-invoice) के तहत tax pay करना होता है. इस case में, service का valuation कैसे किया जायेगा, उसके बारे में clarification issue किया गया है.
• If recipient is eligible for Full ITC :
यदि recipient full ITC के लिए eligible है तो जो value invoice में declared की गई है, उसे ही open market value माना जायेगा.
• If no invoice is issued :
अगर imported services के लिए कोई invoice नही दिया गया है और recipient उस services के लिए full ITC के लिए eligible है, तो उस service की value “Nil (Zero)” मानी जा सकती है.

Law Legends Outline: -
यह circular “ place of supply of goods to unregistered persons under IGST Act” से related issue को clarify करता है.

यदि किसी unregistered person का billing address और delivery address अलग-अलग है तो place of supply क्या लिया जाये ?
इस case में, place of supply “invoice में mentioned delivery address” होगा.

Example:
Mr. A, एक unregistered person है जो की State X में रहता है. उसने कुछ mobile phones e-commerce platform से order किये जिसमे delivered address State Y का mention किया, तो इस इस में place of supply “State Y (i.e. delivery address)” होगा.

Law Legends Outline: -
Taxpayers जो Notification No. 04/2024 – Central Tax dated 05.01.2024 के के schedule में mention goods (Pan-masala, Tobacco etc.) की manufacturing में engaged है. उन्हें पाउच या कंटेनरों को भरने और पैक करने के लिए उपयोग की जा रही पैकिंग मशीनों से related special procedure follow करना होता है. Various trade associations ने इस special procedure को follow करने से related clarification की मांग की, जिसके respect में यह circular issue किया गया है.

Law Legends Outline: -
CBIC ने litigation को कम करने के लिए यह circular issue किया है, जिसके according यदि department appeal में जाना चाहता है तो below minimum amount involved हो तभी appeal file की जा सकती है.
Appellate Forum Monetary Limit
(amount involved in Rs.)
GSTAT 20,00,000/-
High Court 1,00,00,000/-
Supreme Court 2,00,00,000/-

Note : यह limit केवल department के लिए है. मतलब, Taxpayer का amount भले से above limit से कम हो तो भी वह वह appeal में जा सकता है.

NOTIFICATION No. 51 /2024
F. No. 300196/43/2018-ITA-I
New Delhi, 12 June, 2024
LAW LEGENDS OUTLINE:
CBDT ने 12th Jun, 2024 की Notification No. 51/2024 के माध्यम से Income tax act, 1961 ("Income tax act") की Section 10(46) के under Kerala Co-operative Deposit Guarantee Fund Board’, को income tax exemption के लिए Notify किया है।

NOTIFICATION No. 50/2024
F. No. 187/6/2024 (ITA-I)
New Delhi, 06th June, 2024
LAW LEGENDS OUTLINE:
1961 के आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 120 की उप-धाराओं (1) और (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा 10 दिसंबर 2014 को राजपत्र अधिसूचना संख्या स.O. 3125 (E) के अनुसार राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना में निम्नलिखित संशोधन करता है:
1. Schedule-II में संशोधन:
o Sl. No. 9:: शब्द "उत्तर प्रदेश राज्य में जो प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त, यूपी (पूर्व) के अधिकार क्षेत्र के साथ समानांतर होंगे" को हटाया जाएगा।
o Sl. No. 10:: कॉलम (4) में विद्यमान प्रविष्टियों के स्थान पर निम्नलिखित प्रविष्टियाँ प्रतिस्थापित की जाएंगी:
• (a) निम्नलिखित राजस्व जिलों (तथा इनमें से बाद में बनाए गए किसी भी जिले) की सीमाओं के भीतर के क्षेत्र: (a) कानपुर नगर कानपुर देहात (रामाबाई नगर) जालौन हमीरपुर बांदा चित्रकूट महोबा आगरा मथुरा औरैया फिरोजाबाद झांसी ललितपुर इटावा अलीगढ़ फर्रुखाबा कन्नौज एटा हाथरस मैनपुरी कांशीराम नगर मुजफ्फरनगर शामली सहारनपुर मेरठ बागपत गाजियाबाद हापुड़ (पंचशील नगर) बुलंदशहर गौतम बुद्ध नगर (b) उत्तराखंड राज्य

error: Content is protected !!
Open chat
Raise A Query
Hello 👋
Can we help you?



    Please Subscribe from Law Legends Application
    and download the App from

    Thanks For Visiting Us!